बवासीर | Piles in Hindi 2022

बवासीर | Piles in Hindi, बवासीर रोग जिसे पाइल्स भी कहा जाता है। बवासीर में गुदाद्वार व मलाशय में मौजूद नसों में सूजन व तनाव आ जाता है। यह गुदाद्वार व मलाशय में मौजूद नसों का “वैरिकोज वेंस” रोग होता है। बाबासीर गुदाद्वार के बाहर और गुदाद्वार के अंदर भी हो सकता है। गुदाद्वार के अंदर यह दिखाई नहीं देता है और जब जाए बाहर होता है तो यह नसों के एक जमाव के रूप में बन जाता है।

बवासीर क्या है? (What is Piles in Hindi)

आइये जानते है बबासीर क्या है? बवासीर होने के कई कारण हो सकते हैं । यह जोर लगाकर मल त्याग करने के कारण भी हो सकता है। और दूसरा यह गलत खान-पान के कारण भी हो सकता है। आज की भागदौड़ भरे जीवन में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो बाहर का खाना नहीं खा रहा हो। बाहर के खाने से पेट में कब्ज की समस्या हो जाती है जिसके कारण यह बवासीर बन जाता है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गुदा द्वार की नसों में दबाव बढ़ने के कारण भी यह बवासीर बन सकता है।

बवासीर | Piles in Hindi

बवासीर के प्रकारों के अनुसार ही इसके लक्षण अभी अलग-अलग हैं। इसका एक प्रकार खूनी बवासीर है जिसमें के थोड़ी बहुत खुजली या तकलीफ से लेकर मल त्याग करते समय गुदाद्वार से खून आ जाता है तथा गुदा का कुछ हिस्सा बाहर की तरफ निकल आता है और इसके दूसरे प्रकार का बादी बवासीर में खून तो नहीं आता है पर गुदाद्वार में दर्द बहुत अधिक होता है।  अगर हमें मल त्याग करते समय खून नहीं आए केवल जलन हो तो यह बादी बवासीर होता है।

अगर इसके इलाज की बात करें तो हमें यह देखने को मिलता है कि अगर हम अपनी जीवनशैली में खानपान में कुछ बदलाव करें तो हमें बवासीर की समस्या नहीं होती है । और हमें इस बवासीर में बहुत अधिक लाभ मिलता है । आम तौर पर अगर फाइबर वाले फल या  सब्जी खाई जाए तो हमारे पेट में कब्ज नहीं होती है । जिसके कारण यह बवासीर नहीं बन पाता है। अगर किसी को बवासीर हो ही जाता है तो उसे पपीते का सेवन अवश्य करना चाहिए।

बवासीर आमतौर पर खतरनाक नहीं होता है । परंतु लगातार खून बहता रहे तो हमारे शरीर में खून की कमी हो जाती है । जिससे हमें बहुत अधिक कमजोरी हो जाती है और हम अपने दैनिक काम भी नहीं कर पाते हैं इसलिए हमें खून को बहते नहीं रहने देना चाहिए । और हमें बवासीर का उपचार करवाना चाहिए कब्ज के कारण होने वाले बवासीर का इलाज करने के लिए आहार जीवनशैली में बदलाव करना बहुत जरूरी होता है।

बवासीर के प्रकार (Types of Piles in Hindi)

बवासीर मुख्यतः चार प्रकार का होता है:

अंदरूनी बवासीर (Internal Hermorrhoids)

इस प्रकार का बवासीर गुदाद्वार वह मलाशय के अंदर विकसित होता है । बवासीर के कुछ मामलों में यह दिखाई नहीं देता है क्योंकि यह खुदा की काफी गहराई में विकसित होते हैं। हम तो खूनी बवासीर सामान्य तौर पर कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करते हैं और यह अपने आप ठीक हो जाते हैं ।

बाहरी बवासीर (External Hermorrhoids)

यह बवासीर मलाशय व गुदाद्वार के ऊपर बाहर की ओर विकसित होता है। जहां से मर बाहर आता है कुछ मामलों में यह दिखाई नहीं पड़ती जबकि अन्य मामलों में यह मलाशय की सतह पर गांठ के रूप में बने हुए दिखाई देते हैं। बाहरी बवासीर में आमतौर पर कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं होती है लेकिन अगर आपको इसमें दर्द या तकलीफ हो रही है तब फिर इसमें आपको इसका उपचार करवाना चाहिए।

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प्रोलेप्सड बवासीर (Prolapsed Hermorrhoids)

बवासीर में सूजन आ जाती है और वह मौला से से बाहर तक निकलने लगता है। इस स्थिति को प्रोलैब्स बवासीर कहा जाता है। इस प्रकार के बवासीर में सूजन युक्त गांठ खुदा से बाहर की तरफ निकल आती है। यह हमें साधारण से दिखाई नहीं देती है परंतु दर्पण की मदद से इसको हमें देख सकते हैं।

खूनी बवासीर (Thrombosed Hermorrhoids)

किस प्रकार के बवासीर में मल त्याग करते समय खून आने लगता है यह खून कभी कभी बूंद बूद करके टपकता है। या कभी-कभी यह खून नल की तरह बहने लगता है । इस प्रकार के बवासीर का इलाज करवाना बहुत ही आवश्यक होता है। क्योंकि इसमें शरीर का खून बहने लगता है और शरीर में खून की कमी हो जाती है जिससे हमारे शरीर में बहुत कमजोरी होती है और हम अपने दैनिक जीवन के काम को नहीं कर पाते हैं और यह हमारे लिए जानलेवा भी हो सकता है।

बवासीर के ग्रेड (Grades of Piles in Hindi)

आंतरिक बवासीर को इसकी गंभीरता और आकार के अनुसार ग्रेड 1 से 4 में वर्गीकृत किया जा सकता है।

पाइल्स ग्रेड 1– आंतरिक बवासीर में गुदा द्वार नलिका की अंदरूनी परत पर हल्की सी सूजन होती है। इसमें दर्द नहीं होता है। आमतौर पर लोगों में यही ग्रेड 1 बवासीर ही होता है।

पाइल्स ग्रेड 2-इस प्रकार के बवासीर में नसों में सूजन थोड़ी अधिक होती है। मल त्याग करते समय जोर लगाने पर खून के साथ मुझसे भी बाहर आ जाते हैं। लेकिन मल त्याग करने के बाद यह मस्से अपने आप अंदर चले जाते हैं।

पाइल्स ग्रेड 3-इस प्रकार के बाबासीर में जब व्यक्ति शौचालय में जाता है तो मूछों के साथ-सथ खून भी आने लगता है। मल त्याग करने के बाद उंगली से यह मस्से अंदर करने पड़ते हैं।

पाइल्स ग्रेड 4– आंतरिक बवासीर में बहुत अधिक दर्द होता है। मल त्याग करते समय जोर लगाने पर उनके साथ साथियों को भी बाहर आ जाते हैं। नीमच से उंगली से अंदर करने पर भी अंदर नहीं जाते हैं। मुझसे कभी कभी बहुत बड़े हो जाते हैं।

बवासीर के लक्षण (Piles Symptoms in Hindi)

बवासीर के लक्षण क्या है?

  • मल त्याग करते समय गुदाद्वार में बहुत अधिक दर्द का होना।
  • मल त्याग के दौरान ब्लीडिंग का होना।
  • गुदाद्वार से एक तरल पदार्थ का स्राव होना।
  • गुदाद्वार के पास दर्दनाक सुजन या गांठ या मस्से का होना।
  • गुदाद्वार में खुजली होना।

बवासीर के इन लक्षणों को बिल्कुल भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह लक्षण आगे चलकर एक गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं इसलिए जितनी जल्दी हो सके हमें इनका उपचार करवाना चाहिए।

बवासीर क्यों होता है? (Piles Causes in Hindi)

बवासीर में गुदाद्वार के चारों तरफ की नसों में दबाव आने के कारण उन्हें खिंचाव आ जाता है जिससे उन में सूजन आ जाती है या वे फूल जाती हैं। नसों में सूजन के कारण ही बवासीर विकसित होता है। मलद्वार के निचले हिस्से में निम्न कारणों से दबाव बढ़ता है

  • मल त्याग करने के दौरान जोर लगाना।
  • लंबे समय से कब्ज का होना।
  • टॉयलेट में अधिक लंबे समय से बैठे रहना।

सभी प्रकार के कारक मलद्वार में खून के बहाव को प्रभावित करते हैं। जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ने लगता है और इस प्रकार उनका आकार बढ़ने लग जाता है। इसके अलावा मल त्याग करने के दौरान अधिक जोर लगाने से गुदा की नली में दबाव बढ़ जाता है।

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बवासीर के कारणों में निम्न स्थितियां भी शामिल हैं

  • अधिक उम्र– जो पुस्तक बवासीर से बचाव करके रखते हैं वह उम्र के साथ-साथ कमजोर हो जाते हैं इसके कारण बवासीर विकसित हो जाता है और उभर कर बाहर की तरफ भी निकल जाता है।
  • मोटापा– पेट के अंदर का दबाव बढ़ने से गुदा की मांसपेशियों में भी दवा बढ़ जाता है।
  • गर्भावस्था-पेट के अंदर का दबाव बढ़ने के अलावा गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी गुदा की नसों में खिंचाव आ जाता है और उन में सूजन आ जाती है।
  • आनुवंशिकता-कुछ लोगों में बवासीर की बीमारी अनुवांशिकता के कारण भी होती है। आनुवंशिक कारणों में बवासीर मलद्वार में नसों की कमजोरी के कारण हो जाता है।
  • अधिक वजन उठाना– अधिक बोझ उठाते समय सांस रोकने से मलद्वार पर शारीरिक तनाव पड़ता है। लंबे समय तक ऐसा करने से नसों में सूजन होने का जोखिम बढ़ जाता है जिससे पाइल्स की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

बवासीर से बचाव कैसे करें?

बवासीर से बचाव करने का सबसे अच्छा तरीका है मल को नरम बनाए रखना ताकि उसे बाहर आने में परेशानी ना हो। नियमित शारीरिक गतिविधियों के अलावा माल को नरम बनाने में आहार भी अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए व्यक्ति को दिन भर में करीब 25 से 30 ग्राम या उससे अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में दोनों प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं। अगर आप फाइबर को अपने आहार में शामिल नहीं करते हैं तो धीरे-धीरे इस तत्व को अपनी डाइट में शामिल करें। अचानक से डाइट में फाइबर की मात्रा बढ़ाने से यह पेट में गैस और पेट फूलने की समस्या को बढ़ा सकता है।

  • टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक ना बैठे

टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक बैठने से मल त्यागने में परेशानी होने की संभावना बढ़ जाती है इसके साथ ही सीट पर बैठने के तरीके से भी आपके गुदा के आसपास के हिस्से की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ने लगता है। इसके लिए आप टॉयलेट में मोबाइल और पत्रिका को ना ले जाए जितना जरूरी हो टॉयलेट में केवल उतना ही समय बिताएं

  • पर्याप्त पानी पिए

शरीर के अनुसार आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिए इससे मल नरम होता है और मलकिन आरंभ होने से उसको बाहर आने में समस्या नहीं होती है।

  • मल त्याग की इच्छा को अनदेखा ना करें

अगर व्यक्ति को मल त्याग करने की इच्छा हो रही है और उसे अंदर से ही दबाव आ रहा है तो इसको व्यक्ति को अनदेखा नहीं करना चाहिए यह आदत आपके मन को सख्त और सूखा बना सकती है। मल सख्त होने से इसको बाहर आते समय मुश्किल होती है और खुदा की नसों पर दबाव पड़ता है। साथ ही मल त्याग की इच्छा ना होने पर आप अनावश्यक जोर ना लगाएं।

  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें

आप अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां साबुत अनाज और सीरियल कृत्रिम रूप से पोषक तत्व मिलाए गए खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इसके साथ ही आपको प्राकृतिक फाइबर जैसे इसबगोल को भी अपनी डाइट में लेना चाहिए। लेकिन आप फाइबर को धीरे-धीरे अपनी डाइट में शामिल करें क्योंकि कुछ लोगों को इसकी वजह से गैस और पेट फूलने की समस्या भी हो जाती है।

  • नियमित व्यायाम करें

शारीरिक रूप से गतिशील रहने से मल त्याग करने में आसानी होती है। अगर आपने पहले कभी एक्सरसाइज नहीं की हो तो अचानक से अधिक बार वाली एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। और यदि आपने पूरे सप्ताह में एक्सरसाइज नहीं की है तो केवल सप्ताह के अंत में एक ही दिन में अधिक एक्सरसाइज ना करें। इस दौरान आपको धीरे-धीरे प्रभावी और आसान एक्सरसाइज करने की आदत को अपनाएं। रोजाना केवल 20 मिनट पैदल चलने से भी आपको मल त्याग करने की प्रक्रिया बेहतर होती है।

  • एक्टिव बनी रहें

अगर आपकी बैठे रहने की जॉब है या कम घूमने वाली जीवनशैली है तो ऐसे में आप एक जगह लगातार बैठे रहने की आदत को छोड़कर हर दो 1 घंटे में थोड़ा घूम ले। लिस्ट की जगह पर आप सीढ़ियों से ऊपर या नीचे जाने की आदत डालें। इसके अलावा ऑफिस की पार्किंग की सबसे दूर वाली जगह पर गाड़ी को खड़ी करें इससे भी आपको दूर चलने का मौका मिल जाएगा।

बवासीर की जांच कैसे की जाती है? (Diagnosis Piles in Hindi)

बवासीर का निदान मरीज का मेडिकल इतिहास लेकर और शारीरिक परीक्षा देकर किया जाता है। इतिहास लेने के दौरान बवासीर के लक्षणों के बारे में पूछा जाता है उदाहरण के तौर पर कब्जे त्याग में कठिनाई और मलाशय पर दबाव व अन्य प्रश्न माला से से खून आने की वजह का पता लगाने के लिए पूछे जा सकते हैं। मलाशय से खून आने के कुछ कारण और भी हो सकते हैं।

शारीरिक परीक्षण निदान को पक्का करने के लिए किया जाता है जिसमें मलाशय  परीक्षण शामिल है। इसमें उंगली के द्वारा असामान्य गांठ का पता लगाया जाता है। अंदरूनी बवासीर को आमतौर पर महसूस नहीं किया जाता। अगर बहुत दर्द या सूजन होती है तो मलाशय परीक्षण को रोक दिया जाता है। इसके साथ साथ बवासीर और कब्ज की वजह से जुड़े के आसपास की त्वचा फटने लगती है। इस में होने वाला दर्द मलाशय के परीक्षण में असुविधाजनक बना देता है।

बवासीर के नुकसान (Piles Complication in Hindi)

  • यदि बवासीर मलद्वार के बाहरी हिस्से में है तो उस पर से अत्यधिक खून बहने लगता है।
  • बवासीर होने पर मलद्वार का अंदरूनी हिस्सा बाहर निकल आता है।
  • ऊतकों में दबाव बढ़ने से तक नष्ट होने लग जाते हैं जिसके कारण अल्सर बनने लग जाता है यह स्थिति बहुत ही जटिल हो जाती है।
  • यदि मलद्वार से खून की सप्लाई बंद हो जाए यह खून ना पहुंच पाए तो इस स्थिति में गैंग्ररीन हो सकता है।
  • मलद्वार पर इंफेक्शन भी हो जाता है।
  • मलद्वार पर गांठे सी निकल आती है।

बवासीर का इलाज (Piles Treatment in Hindi)

बवासीर का इलाज क्या है?

ज्यादातर मामलों में यह लिखा गया है कि व्यक्ति अपने पेट से कब्ज को खत्म कर दें और उसका पेट नियमित रूप से साफ रहे तो बवासीर अपने आप ठीक हो जाता है। बहुत सारे मरीजों पर अध्ययन करके यह देखा गया है कि इलाज में काफी हद तक कीड़ों और खुजली में आराम मिलता है।

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जीवन शैली में परिवर्तन

अच्छा डॉक्टर दवा लिखने से पहले जीवनशैली में परिवर्तन लाने  को कहेगा वह आपको नियमित खानपान की सलाह देगा और बाहर के खाने के लिए मना करेगा। कब्ज होने की वजह से मल त्याग के वक्त बहुत जोर लगाया जाता है जिसकी वजह से बवासीर हो जाता है। और में परिवर्तन करने से त्याग नियमित और मुलायम हो सकता है। अपने खाने में फाइबर युक्त फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए । नाश्ते में अनाज की जगह फाइबर वाला अनाज का प्रयोग करना चाहिए।

पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए अक्सर डॉक्टर मरीजों को यह सजा देते हैं कि आप पानी भरपूर पिया करो।

साथ ही खाद्य पदार्थ जिसमें कैफीन होता है उनका सेवन कम करें। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत ज्यादा कैपिंग का उपयोग करना सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक होता है।

अगर मरीज मोटापे का शिकार है उसका वजन अधिक है तो उसमें बवासीर होने की संभावना बहुत अधिक होती है और एक बार उसे बवासीर होने पर गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । इसलिए व्यक्ति को अपना वजन कम से कम रखना चाहिए और मोटापे का शिकार नहीं होना चाहिए।

बवासीर की दवा (Piles Remedies)

मरहम क्लीन पैड्स दूसरी दवाइयां- बहुत सारी दवाइयां ऐसी है जो कि तुरंत लगाई जाती है जिसमें मलाशय के आसपास होने वाली लालिमा और सूजन में आराम मिलता है। हम तो यह ध्यान रखने वाली बात है कि जिन दवाइयों से वह परमानेंट ठीक नहीं होता है केवल खुजली को बंद करता है। इनको अधिक समय तक इस्तेमाल करने से मस्सों में परेशानी और उसके आसपास की त्वचा पतली हो सकती है। डॉक्टर से बिना परामर्श के आप की दवा का इस्तेमाल ना करें।

पाइल्स की सर्जरी (Piles Surgery)

स्क्लेरोथेरेपी (Sclerotherapy)-इसमें एक दवाई दी जाती है जिससे बवासीर सिकुड़ जाता है और अंत में सूख जाता है। तेरे बवासीर के ग्रेड 2 फॉर ग्रेड 3 में प्रभावी है।

इंफ्रारेड कुगुलेशन (Infrared Caogulation)– स्किन फॉर रेड लाइट दी जाती है इसका इस्तेमाल बवासीर की ग्रेड वन ग्रेड में किया जाता है । यह एक तरह का यंत्र है जिससे बवासीर के मस्सों की जमावट को रोशनी के द्वारा जला दिया जाता है।

जनरल सर्जरी– इसको बड़ी बवासीर में प्रयोग किया जाता है । ग्रेड 3 और ग्रेड 4 की बवासीर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। अधिकतर संदीप तक की जाती है जब दूसरी प्रक्रियाओं से आराम नहीं मिलता है। कभी-कभी सर्जरी आउटपेशेंट प्रक्रिया की तरफ भी जाती है। यानी इसमें मरीज सर्जरी की प्रक्रिया पूरी होने पर घर जा सकता है।

हेमोरॉइडेक्टोमी (Hemorrhoidectomy)-बहुत सारी उम्र तक जिनकी वजह से खून आ रहा है उसे सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है। इसे बहुत सारे तरीकों से किया जाता है। इसमें स्थानीय एनेस्थेटिक बेहोश करने की प्रक्रिया रीड की हड्डी में दिया जाने वाला एनेस्थेटिक और सामान्य एनेस्थेटिक का मेल इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह की सर्जरी बवासीर को जड़ से मिटाने में कारगर है लेकिन इसमें जटिलताएं पैदा होने का जोखिम है जैसे कि मल निकलने में दिक्कत और मूत्र पथ में संक्रमण ।

हेमोरॉयड को बांधना-बवासीर की तकलीफ़ हो रही थी वह पूरे दिया जाता है यह प्रक्रिया हेमोरॉइडेक्टोमी से कम दर्दनाक होती है लेकिन बवासीर के स्तर से होगी और मलाशय के आगे बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है।

बवासीर के लिए आहार ( Diet for Piles)

क्या खाना चाहिए? 

व्यक्ति को उस भजन को खाना चाहिए जिसमे फाइबर हो और आसानी से पच जाए जैसे वोट्स मक्का गेहूं आदि। इसमें आपको बवासीर में बहुत मदद मिलेगी। इसके अलावा अंजीर पपीता केला ब्लैकबेरी जामुन से और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए जो आपके लिए बहुत ही अच्छी होती हैं। सूखे मेवे जैसे बादाम और अखरोट आदि ऐसे खाद्य पदार्थ जो लोहे से संबंधित हैं और उनका सेवन अपनी स्थिति के अनुकूल करें। प्याज अदरक लहसुन भी बवासीर के इलाज में बहुत फायदेमंद होते हैं। सोच को मुलायम रखने के लिए द्रव पदार्थ का अधिक सेवन करें।

Diet for Piles Patients

क्या नहीं खाना चाहिए?

सफेद आटा या मैदा बवासीर की समस्या को कई गुना बढ़ा सकते हैं । तो सफेद आटा या मैदा उत्पादों के सेवन से बचें। जंक फूड धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें। दूध के उत्पाद कब्ज की समस्या को बढ़ा सकते हैं जिस से बवासीर की स्थिति और खराब हो सकती है । तो डेरी उत्पाद के सेवन से बचें। तेल मसालेदार और बाजार में बिकने वाले तैयार खाद्य पदार्थ बवासीर के लिए हानिकारक होती है। इनके सेवन से बचें।

FAQ:

Q: बवासीर में तुरंत आराम के लिए क्या करें?

Ans: ज्यादातर मामलों में यह लिखा गया है कि व्यक्ति अपने पेट से कब्ज को खत्म कर दें और उसका पेट नियमित रूप से साफ रहे तो बवासीर अपने आप ठीक हो जाता है ।

Q: बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज क्या है ?

Q: सफेद आटा या मैदा बवासीर की समस्या को कई गुना बढ़ा सकते हैं । तो सफेद आटा या मैदा उत्पादों के सेवन से बचें।

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