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बसंत पंचमी 2023(Basant Panchami 2023)
बसंत पंचमी हिंदुओं का मुख्य त्योहार है। बसंत पंचमी का त्यौहार माता सरस्वती को समर्पित त्यौहार है। हिंदू धर्म में माता सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व और विशेष स्थान है। माता सरस्वती वाणी, विद्या और संगीत की देवी के रूप में सनातन काल से ही भारत में पूजा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि माता सरस्वती का अवतरण इसी दिन हुआ था। जो भी भक्त माता सरस्वती की उपासना करते हैं उन्हें ज्ञान, विद्या और कला की प्राप्ति होती है। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की उपासना करने से मां लक्ष्मी और देवी काली दोनों का ही आशीर्वाद मिलता है।
पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। माता सरस्वती की उपासना एवं मंत्र उचरण से भक्तों को ज्ञान, विद्या का विशेष लाभ मिलता है।
बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त और तिथि
बसंत पंचमी का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12:34 से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10:38 तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी की पूजा 26 जनवरी को होगी। बसंत पंचमी मैं माता सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 7:07 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा।
बसंत पंचमी पूजा विधि
- बसंत पंचमी के दिन भक्तों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान और ध्यान करना चाहिए। साथ ही पूजा के लिए पीले और सफेद रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
- इसके बाद पूजा स्थल पर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें और पूजा वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। इन सब के साथ माता को पीले रंग की चुनरी भी अर्पित करें।
- पूजा के समय माता को श्वेत चंदन, पीले रंग की रोली, पीला गुलाल पुष्प, धूप, दीप, गंध अर्पित करें। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग चढ़ाएं।
- विधिवत पूजा के बाद माता सरस्वती वंदना का पाठ करें और अंत में आरती करें। आरती के बिना पूजा सफल नहीं होती ।अंत में छमा मांगे और परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटे।
बसंत पंचमी के चमत्कारी उपाय
- मां सरस्वती की वीणा के मधुर ध्वनि से सृष्टि के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी की प्राप्ति होती है। यदि आपका बच्चा भी स्पष्ट नहीं बोल पाता है तो माता की उपासना से माता की कृपा जरूर होगी।
- ऐसा माना जाता है कि यदि बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती को पीले रंग के पुष्प और फल अर्पित करें। जरूर लाभ मिलेगा।
- बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करते समय पीले चंदन का उपयोग करें। इससे बुद्धि का विकास होता है।
बसंत पंचमी मंत्र
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
* शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
माता सरस्वती के मंत्रों के उच्चारण से लाभ
बसंत पंचमी का दिन माता सरस्वती की पूजा के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन माता सरस्वती के कुछ खास मंत्रों का जाप चमत्कारी सिद्धि दायक होता है। इस दिन मंत्र जाप से और मां की आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण हो सकती हैं
ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन जो व्यक्ति सरस्वती मंत्रों का जाप करता है उसकी स्मरण शक्ति मजबूत होती है। माता के मंत्र जाप से व्यक्ति की पढ़ाई में एकाग्रता का विकास होता है और मन चंचल नहीं रहता है।
बसंत पंचमी 2023 का महत्व
बसंत पंचमी का महत्व सनातन काल से देखने को मिलता है। बसंत पंचमी हिंदुओं के लिए एक मुख्य त्यौहार है। बसंत पंचमी अन्य त्योहारों की तरह पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सनातन काल से इसी प्रकार से चला आ रहा है।
इस त्यौहार को लेकर तरह तरह की कथाएं प्रचलित है। एक तरह से यह त्यौहार फसल से भी जुड़ा हुआ है इसलिए यह भारतीय किसान समुदाय के बीच बहुत महत्व रखता है। यह छात्रों सामान्य परिवार व्यवसाय और किसानों द्वारा समान रूप से मनाया जाता है। बसंत पंचमी का उत्सव अपने गौरवशाली और पौराणिक अतीत की तरह रंग बिरंगा है।
क्यों एक खास बसंत पंचमी 2023 का त्यौहार?
बसंत पंचमी हिंदू कैलेंडर माह माह के पांचवें दिन मनाया जाता है जो जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में पड़ता है। यह लंबे और ठंडे सर्दियों के बाद बसंत के आगमन को बताता है और इस दोनों का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
बसंत ऋतु का मौसम हिंदू कैलेंडर के सभी मौसमों में से सबसे अधिक सुंदर मौसम होता है। बसंत ऋतु को मौसमों के राजा के रूप में भी जाना जाता है। इस मौसम में ना तो ज्यादा ठंड होती है ना ही ज्यादा गर्मी जिस प्रकार बसंत पंचमी का त्यौहार एक प्रकार से बसंत ऋतु के सुंदर मौसम के आगमन का संदेश देता है।
जलवायु के साथ-साथ हिंदू पौराणिक कथाओं में कुछ पौराणिक रीति रिवाज और मान्यता भी है जो उत्सवों में गहराई से रचे बसे हैं। भारत के एक हिस्से में हिंदू बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में मनाते हैं।
बसंत पंचमी से जुड़ी कथाएं
कामदेव की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के बाद से भगवान शिव ध्यान की स्थिति में थे। इससे उनकी पत्नी पार्वती चिंतित हो गई और उन्होंने कामदेव से कहा और उनसे शिव से प्रेम की भावना जगाने का अनुरोध किया।
पार्वती की मांगों को स्वीकार करते हुए कामदेव ने सांसारिक और अपनी दायित्वों को देखने के लिए अपने ध्यान की स्थिति से शिव को जगाने के लिए सहमति व्यक्त की और भगवान पर फूलों से बने वाणों की बरसात की गई। इस प्रकार सांसारिक समाधान के लिए जागने वाले शिव के इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
कालिदास से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार कालिदास एक मूर्ख व्यक्ति थे जिन्होंने किसी तरह एक सुंदर राजकुमारी से शादी कर ली। यह जानने पर की राजकुमारी की कालिदास मूर्ख है जिसके पास ज्ञान और ज्ञान का अभाव है। उसके साथ रहने से इंकार कर दिया।
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प्यार और दिल टूटने के बाद कालिदास सरस्वती नदी में कूदकर आत्महत्या करने चले गए। लेकिन इससे पहले कि वह ऐसा कर पाते देवी सरस्वती को उन पर दया आई और उन्होंने उन्हें पानी में डुबकी लगाने का आशीर्वाद दिया है।
ऐसा करने के बाद देवी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें ज्ञानवान बना दिया जिससे उन्होंने कविता लिखना शुरू किया और उनकी बुद्धि भारत के अन्य हिस्सों में फैल गई। इस प्रकार से सरस्वती देवी बसंत पंचमी के दिन पूजनीय है।
FAQ:
Q: 2023 में बसंत पंचमी कब है?
Ans: उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी की पूजा 26 जनवरी 2023 को होगी।
Q: बसंत पंचमी कितने तारीख को पड़ रही है?
Ans: 26 जनवरी 2023
Q: बसंत पंचमी 2023 का मुहूर्त कब है?
Ans: इस वर्ष माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12:34 से लेकर अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10:38 तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी की पूजा 26 जनवरी को होगी। बसंत पंचमी मैं माता सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह 7:07 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा।