Dancing On The Grave Review: इंसान के भरोसे और इंसानियत का कत्ल

Dancing On The Grave Review: भारत में दिन पर दिन नई नई फिल्में बन रही है। अब ऐसा लग रहा है मानो फिल्म मेकर के पास कंटेंट ही खत्म हो गया है जिसके कारण अब कुछ रियल लाइफ पर आधारित क्राइम स्टोरी पर ही फिल्में बनकर आ रही हैं।

ऐसा ही नेटफ्लिक्स पर पिछले कुछ समय से रियल लाइफ पर आधारित क्राइम स्टोरी पर बनी डॉक्यूमेंट सीरीज लाने का सिलसिला जारी हो गया है।

इनमें से ही नेटफ्लिक्स पर 4 ऐसी डॉक्यूमेंट्री सीरीज रिलीज हुई है जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों में घटित अपराध की दिल दहलाने वाली दास्तांओं को दिखाया गया है।

इन्हीं कहानियों की तर्ज पर अमेज़न प्राइम वीडियो अपनी पहली क्राइम डॉक्यूमेंट्री सीरीज लेकर आया है जिसका शीर्षक “डांसिंग ऑन द ग्रेव” है। इस डॉक्यूमेंट्री में 90 के शुरुआती सालों में बेंगलुरु में हुई कत्ल की एक सनसनीखेज घटना की पड़ताल को दिखाया गया है।

इस घटना में जिस तरीके से एक महिला का कत्ल हुआ था उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो इसका खुलासा होना मुश्किल है। इसकी पड़ताल करने पर कोई ऐसा सबूत नहीं मिल रहा था कि जिसके सहारे से पड़ताल की जा सके।

इस कहानी में जब पुलिस पड़ताल करती है। तब उसे जिस व्यक्ति के खिलाफ सबूत मिलते हैं और जिस व्यक्ति को सजा होती है उसे जेल भेजा जाता है। वह खुद को निर्दोष बताता है।

डॉक्यूमेंट सीरीज के इस हिस्से को बहुत अच्छी तरीके से श्रद्धानंद के माध्यम से दिखाया गया है।

“डांसिंग ऑन द ग्रेव” वेब सीरीज को 21 अप्रैल को प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर दिया गया है। डॉक्यूमेंट में काफी पुराने फोटोग्राफ्स, वीडियो क्लिप, और संबंधित लोगों की क्लिप्स भी दिखाया गया है।

हाई प्रोफाइल कत्ल की हैरतअंगेज कहानी

इस कहानी का निर्देशन पैट्रिक ग्राहम ने किया है। इन्होंने बेताल और धूल जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया था।

इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज में बेंगलुरु के एक प्रभावशाली परिवार की महिला शाकरे नवाजी के कत्ल की कहानी और इसके हैरतअंगेज खुलासे की कहानी को दिखाया गया है।

47 साल की महिला शाकरे नवाजी के कत्ल का आरोप उसके दूसरे पति मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ़ श्रद्धानंद पर लगा था। उस पर आरोप था कि पति ने शाकरे नवाजी की संपत्ति के लिए उसकी हत्या की और घर में ही जिंदा दफन कर दिया। Dancing On The Grave Review

मैसूर के राजघराने की दीवान की पोती शाकरे नवाजी जो कि बेहद ही खूबसूरत महिला थी और 19 साल की उम्र में उनकी शादी भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अकबर खलीली से हो गई थी।

दोनों के 4 बेटियां हुई थी । लेकिन फिर भी शाकरे नवाजी के मन में एक बेटे की चाहत थी। अकबर खलीली डिप्लोमेट होने के कारण काम के सिलसिले में अक्सर विदेश में ही रहते थे जिसका असर उनकी शादी पर भी पड़ने लगा।

Dancing On The Grave Review

इस कहानी में एक बाबा की एंट्री होती है जोकि मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ़ श्रद्धानंद के नाम से जाना जाता था। श्रद्धानंद से शाकरे नवाजी की मुलाकात 1982 में बेंगलुरु में हुई थी।

पति से तलाक लेने के बाद शाकरे नवाजी ने श्रद्धानंद से शादी कर ली। शाकरे नवाजी के इस कदम से हर कोई बहुत हैरान था। डॉक्यूमेंट्री में उनके रिश्तेदारों के माध्यम से अच्छी तरीके से समझाया गया है कि शाकरे नवाजी और श्रद्धानंद के बीच कोई भी मेल नहीं था। और इस शादी से कोई खुश भी नहीं था। परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया था।

आगे इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज में दिखाया गया है कि श्रद्धानंद से शादी के कुछ समय बाद से ही परिवार और शाकरे नवाजी के बीच प्रॉपर्टी को लेकर विवाद होने लगता है। श्रद्धानंद बताते हैं कि इसको लेकर कभी-कभी उनके बीच झगड़े भी होते थे।

शाकरे नवाजी अपनी एक बेटी के बहुत करीब थी। वह उससे लगभग हर हफ्ते बात करती थी। शाकरे नवाजी 1991 में अचानक गायब हो गई।

जब उनकी बड़ी बेटी ने उनसे फोन पर बात करनी चाही तो बात नहीं हुई और अचानक से ही उनकी बात बंद हो गई। उसकी बेटी को लगा कि उनकी मां किसी भी परिस्थिति में हो लेकिन उससे बात जरूर करती थी लेकिन अब बिल्कुल बात बंद हो गई है तो कुछ ना कुछ गड़बड़ तो है।

जब श्रद्धानंद से इसके बारे में पूछा तो श्रद्धानंद ने कई बार तो बात नहीं करवाई और फिर 1 दिन जवाब दिया कि वह उसको भी छोड़ कर चली गई है।

आखिरकार 1992 में सवा ने बेंगलुरु के अशोक नगर पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज करवाई थी कि उनकी मां का कई महीनों से कोई अता पता नहीं है और उनके उससे बात भी नहीं हो पा रही है।

पुलिस के द्वारा काफी पड़ताल की गई और एड़ी चोटी का जोर लगाकर 1994 में कर्नाटक पुलिस ने शाकरे नवाजी का कंकाल उसके घर से ही बरामद किया था।

यह कंकाल उस जमीन के नीचे से बरामद किया जिसके ऊपर श्रद्धानंद ने पक्का फर्श करवाकर डीजे बजाने के लिए श्रद्धानंद वहां पर पार्टी किया करता था और डांस किया करता था।

काफी तफ्तीश करने के बाद श्रद्धानंद ने आरोपों को कबूल कर लिया।

शाकरे नवाजी का कत्ल 28 अप्रैल 1991 को हो गया था। मारने से पहले उन्हें नशे का इंजेक्शन दिया गया था जिसके बाद उन्हें गद्दे में लपेटकर ताबूत में बक्से में बंद किया गया था फिर इस बॉक्स को दफना दिया गया था।

जब साक्री का कंकाल बाहर निकाला गया और गद्दा हटाया गया तो उसके ताबूत पर नाखूनों के काफी निशान मौजूद थे जिसका मतलब है कि इंजेक्शन के द्वारा शाकरे नवाजी मरी नहीं थी बाद में उनको होश आ गया था।

डॉक्यूमेंट्री में उस समय के विजुअल भी दिखाए गए हैं जिनमें पुलिस श्रद्धानंद को गिरफ्तार करके उनके घर ले जाती है और उस जगह की निशानदेही करती है जहां दफनाया गया था।

इमोशनल डॉक्यूमेंट्री

लगभग आधा घंटा अवधि के 4 एपिसोड में बनी इस सच्ची घटना को इस तरीके से दिखाया गया है कि पूरी फिल्म के दौरान दिलचस्पी बनी रहती है और एक क्राइम शो की तरह इसे हम बड़े ध्यान से देखते हैं। इस केस से जुड़े सभी पहलुओं को कवर करने की कोशिश की गई है।

शाकरे नवाजी के परिवार उस वक्त के पुलिस अधिकारी पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, जज, शाकरे नवाजी के कर्मचारी घटना को कवर करने वाले पत्रकार, बचाव पक्ष के वकील बहुत कंफ्यूज रहते हैं। इनमें शाकरे नवाजी की मां और बेटी सभा की बाइट से मगर सबसे बड़ा खुद श्रद्धानंद का इंटरव्यू है जो जेल में लिया गया था।

अब श्रद्धानंद उम्रदराज हो चुके हैं और उनके मुंह से इस कहानी  सुनना अलग ही रोमांच है। उनको अपना वर्जन इस इंटरव्यू  में में दिखाया गया है वह पत्नी के साथ अपने संबंधों, आरोपों, शादी के बाद आई दिक्कत और चुनौतियों के बारे में भी बताते हैं।

 

 

 

 

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