How to check original Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का एक विशेष महत्व है। रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करता है। उस पर भगवान शिव की अपार कृपा होती है और उसके खराब ग्रह भी सुधर जाते हैं। उनको शुभ फल देते हैं।
रुद्राक्ष को धारण करने से कई प्रकार की बीमारियां तनाव चिंता और ब्लड प्रेशर आदि से मुक्ति मिलती है।
रुद्राक्ष को चमत्कारी माना जाता है और रुद्राक्ष की पूजा भी होती है। रुद्राक्ष के महत्व को शिव महापुराण में विस्तार से बताया गया है।
असली रुद्राक्ष को कैसे पहचानें | Asli Rudraksh Ki Pehchan
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ऐसा माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसुओं से हुई है। अगर इसकी कथा को विस्तार से जाने तो राजा दक्ष की पुत्री सती माता जो भगवान शंकर की अपार भक्त थी।
लेकिन राजा दक्ष को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि भगवान विष्णु को ही वह सर्वश्रेष्ठ मानते थे और उन्हीं को वह भगवान मानते थे।
भगवान शिव से वह घृणा करते थे। लेकिन माता सती भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए उनकी आराधना करती और उनकी ही तपस्या में लीन रहती जिसकी कारण राजा दक्ष बहुत ही क्रोधित रहते थे।
सती माता ने अपने पिता की इच्छा की विरुद्ध जाकर भगवान शंकर से विवाह किया। एक बार जब राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया।
उस यज्ञ में राजा दक्ष ने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया था लेकिन भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया था और उनके साथ सती माता को भी आमंत्रित नहीं किया था।
नारद मुनि के उकसाने पर सती माता इसके बावजूद भी यज्ञ में बिना शिव की अनुमति के पहुंच गई। उस यज्ञ में राजा दक्ष ने भगवान शिव और माता सती का अपमान किया।
क्योंकि शिव और शक्ति को एक ही माना जाता है इसलिए भगवान शिव का अपमान माता सती का भी अपमान है जिसे वह सहन नहीं कर पाए और उन्होंने यज्ञ में ही अपने प्राणों की आहुति दे दी। जिसके कारण माता सती का एक नाम दक्ष यज्ञ विनाशिनी भी पड़ गया।
जब यह बात भगवान शंकर को पता चले कि माता सती ने यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी है जिसके कारण भगवान शिव ने वीरभद्र को उस यज्ञ में भेजा। वीरभद्र ने आते ही राजा दक्ष का वध कर दिया और सती माता का शव लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे।
भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर तांडव करने लगे जिससे सृष्टि में प्रलय होने लगी और सृष्टि का विनाश होने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु ने अपने चक्कर से माता सती के 51 टुकड़े कर दिए। यही 51 भाग जहां जहां गिरे वह शक्तिपीठ कहलाया।
माता सती की यह हालत देखकर भगवान शिव विलाप करने लगे और विलाप करने से जो आंसू गिरे वहां से रुद्राक्ष का वृक्ष उत्पन्न हुआ।
रुद्राक्ष कहां पाया जाता है? | Where Can I Find Real Rudraksh
असली रुद्राक्ष पेड़ों पर ही मिल सकता है। रुद्राक्ष का पेड़ भारत के हिमालय प्रदेशों में अधिक पाए जाते हैं। यहां के वनों में आपको रुद्राक्ष के पेड़ देखने को मिल जाएंगे।
इन हिमालई प्रदेशों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल, उत्तराखंड, हरिद्वार, गढ़वाल, देहरादून के जंगल क्षेत्रों में और दक्षिण भारत में कर्नाटक, मैसूर, नीलगिरी के पर्वतों में भी रुद्राक्ष के वृक्ष पाए जाते हैं।
अगर आपको असली रुद्राक्ष की खोज है तो आप उत्तर और दक्षिण भारत के मंदिरों में असली रुद्राक्ष के फल देखते हुए मिल जाएंगे।
यहां से आप असली रुद्राक्ष के पल को खरीद सकते हैं जैसे आप अपने घर पर ही साफ करके धारण कर सकते हैं।
रुद्राक्ष के प्रकार | Types of Rudraksh
रुद्राक्ष की माला को भगवान शंकर आभूषण की तरह पहनते हैं वैसे तो प्रकृति में रुद्राक्ष इक्कीस मुखी तक भी पाए गए लेकिन 11 मुखी रुद्राक्ष को अधिक पहना जाता है।
रुद्राक्ष को आभूषण की तरह पहनने से घर में शांति और आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलता है। रुद्राक्ष पहनने के अलग-अलग कारण भी हो सकते हैं।
व्यक्ति के शरीर की अवस्था के अनुसार ही उसी प्रकार का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जो उसके लिए लाभकारी हो। रुद्राक्ष पहनने के बाद लोगों को बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं परंतु इसका लाभ तभी होता है जब इसे पूरी तरीके से नियम अनुसार पहना जाए।
रुद्राक्ष पहनने के नियमों का पालन ना किया जाए तो इसके नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं। आमतौर पर रुद्राक्ष को हाथों में, गले में पहना जाता है। हाथ में 12 रुद्राक्ष और गले में 36 रुद्राक्ष भी पहने जा सकते हैं।
रुद्राक्ष को हमेशा लाल धागे में ही पिरोहकर पहनना चाहिए। रुद्राक्ष को पहनने से पहले शिवलिंग के सामने रखकर शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। रुद्राक्ष को अगर सोमवार के दिन सावन के महीने में शिवरात्रि के दिन पहना जाए तो ज्यादा शुभ लाभ होता है।
- एक मुखी रुद्राक्ष
- दो मुखी रुद्राक्ष
- तीन मुखी रुद्राक्ष
- चार मुखी रुद्राक्ष
- पंचमुखी रुद्राक्ष
- 6 मुखी रुद्राक्ष
- सात मुखी रुद्राक्ष
- आठ मुखी रुद्राक्ष
- नौ मुखी रुद्राक्ष
- दस मुखी रुद्राक्ष
- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
- गणेश रुद्राक्ष
- गौरी शंकर रुद्राक्ष
राशि के अनुसार रुद्राक्ष पहने
राशि | रुद्राक्ष का प्रकार |
मेष राशि | तीन मुखी रुद्राक्ष |
वृष राशि | 6 या 10 मुखी रुद्राक्ष |
मिथुन राशि | 4 या 11 मुखी रुद्राक्ष |
कर्क राशि | चार मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष |
सिंह राशि | एक मुखी रुद्राक्ष |
कन्या राशि | गौरी शंकर रुद्राक्ष |
तुला राशि | सात मुखी रुद्राक्ष |
वृश्चिक राशि | 8 और 13 मुखी रुद्राक्ष |
धनु राशि | 5 मुखी रुद्राक्ष |
मकर राशि | 10 मुखी रुद्राक्ष |
कुंभ राशि | सात मुखी रुद्राक्ष |
मीन राशि | एक मुखी रुद्राक्ष |
How to Check Original Rudraksha | रुद्राक्ष की पहचान
एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान
एक मुखी रुद्राक्ष अर्धचंद्राकार या गोल आकार में होता है। इस एक मुखी रुद्राक्ष में एक धारी बनी होती है। एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का ही स्वरूप समझा जाता है।
एक मुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ होता है ऐसा माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष की प्रतिदिन पूजा कर उसे धारण करना होता है। उस पर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है और उसकी मन की इच्छाएं पूरी होती हैं।
दो मुखी रुद्राक्ष की पहचान
2 मुखी रुद्राक्ष अंडाकार आकृति में बना होता है। रुद्राक्ष के बीच में भी एक धारी बनी होती है। यह धारी रुद्राक्ष को दो भागों में बांटती है। इस रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
कर्क राशि के लोगों के लिए यह रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है। जिस किसी व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा हो उसे 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो उसे भी इस रुद्राक्ष को अवश्य पहनना चाहिए।
तीन मुखी रुद्राक्ष
तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान जानने के लिए इसमें तीन धारियों को देखना होता है। यह रुद्राक्ष अधिकतर गोल होता है। यह रुद्राक्ष गति और अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष के अनुसार मेष राशि वाले और वृष राशि के लोगों के लिए यह अधिक लाभकारी होता है।
चार मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष के मुख पर चार धारियां बनी होती हैं। इस चार धारियों के द्वारा इस रुद्राक्ष को पहचाना जा सकता है यदि रुद्राक्ष की गोल आकार का होता है। इस रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी का रूप माना जाता है।
मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी होता है। यह रुद्राक्ष त्वचा और बोलने से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सहायक होता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष के मुख पर पांच धारियां बनी होती हैं। 5 धारियों से इस रुद्राक्ष को पहचाना जा सकता है। यह रुद्राक्ष भी अधिकतर गोल आकृति का ही होता है। इस रुद्राक्ष को शिव जी का रूप भी माना जाता है। यह रुद्राक्ष मन को शुद्ध और शांत करता है।
छ: मुखी रुद्राक्ष
6 मुखी रुद्राक्ष को मुख पर चेहरा रेखाओं के द्वारा पहचाना जा सकता है। इस रुद्राक्ष के द्वारा व्यवसाय में अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। शुक्र ग्रह दशा की स्थिति को सुधारने के लिए लोगों को यह पहनना चाहिए।
सात मुखी रुद्राक्ष
सात मुखी रुद्राक्ष के मुख पर 7 धारियां होती हैं। यह रुद्राक्ष माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से दरिद्रता और गरीबी दूर होती है। धन का आगमन भी होता है। मकर और कुंभ राशि के लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। यह रुद्राक्ष शनि की दशा में सुधार करता है।
आठ मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष की पहचान 8 धारियों के द्वारा की जा सकती है। यह भी गोल आकृति का होता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति अकाल मृत्यु से बच सकता है। इस रुद्राक्ष को अष्ट देवियों का रूप भी माना जा सकता है। इसको पहनने वाला व्यक्ति की रक्षा 8 देवियां करती हैं।
नौ मुखी रुद्राक्ष
नौ मुखी रुद्राक्ष भी गोल आकृति का होता है और इसमें 9 रेखाएं होती हैं। इस रुद्राक्ष को नव दुर्गा का रूप माना जाता है। यह धन-सपत्ति और सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाला होता है। यह आंखों की दृष्टि को भी तेज करता है।
दस मुखी रुद्राक्ष
10 मुखी रुद्राक्ष में 10 धारियां होती है। यह रुद्राक्ष भी गोल आकृति का होता है। यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है जो इसे धारण करता है उस पर भगवान विष्णु की अपार कृपा होती है। वृश्चिक राशि के लोग इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पहचान
11 मुखी रुद्राक्ष की पहचान के लिए हमें उस रुद्राक्ष पर 11 धारियों को देखना होता है। इस रुद्राक्ष को भी भगवान शिव का रूप कहा गया है।
गणेश रुद्राक्ष की पहचान
यह रुद्राक्ष गणेश जी की आकृति जैसा होता है। इस रुद्राक्ष में गोल मुख के आकार के साथ एक सूंड भी होती है। यह साक्षात गणेश जी का प्रतीक ऐसा ही होता है। बुद्धि और विवेक के देवता भगवान श्री गणेश के द्वारा इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले की बुद्धि, विवेक तीव्र होता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष की पहचान
प्राकृतिक रूप से दो जुड़े हुए रुद्राक्ष को गौरी शंकर रुद्राक्ष का रूप माना जाता है। इसमें माता पार्वती और भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
इस रुद्राक्ष को जो भी पहनता है उसकी साडी मनोकामना पूरी होती है। घर में खुशहाली के लिए इस रुद्राक्ष को पति-पत्नी धारण कर सकते हैं।
कुछ घरेलू पहचान | How to Test Rudraksh is Original at Home
असली रुद्राक्ष को पानी में डूब आने पर वह डूब जाता है जबकि नकली रुद्राक्ष पानी पर तैरता रहता है। असली रुद्राक्ष की पहचान उसे पानी में डालकर भी बड़ी आसानी से की जा सकती है।
असली रुद्राक्ष को किसी नुकीली चीज से खुरचने पर उसमें से रेशे निकलते हैं। इससे उस रुद्राक्ष को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है।
रुद्राक्ष को माला बनाने के लिए उसमें प्राकृतिक रूप से छेद होता है। रुद्राक्ष का यह क्षेत्र नकली रुद्राक्ष में नहीं पाया जाता है।
FAQs:
कैसे पता करें कि रुद्राक्ष असली है?
असली रुद्राक्ष को पानी में डूब आने पर वह डूब जाता है, जबकि नकली रुद्राक्ष पानी पर तैरता रहता है।
रुद्राक्ष की शुद्धता की जांच कैसे करते हैं?
असली रुद्राक्ष को किसी नुकीली चीज से खुरचने पर उसमें से रेशे निकलते हैं। इससे उस रुद्राक्ष को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है।
असली रुद्राक्ष की कीमत क्या होती है?
असली रुद्राक्ष की कीमत जगह के अनुसार अलग अलग हो सकती है।
रुद्राक्ष के मुख्य की पहचान कैसे करें?
रुद्राक्ष को माला बनाने के लिए उसमें प्राकृतिक रूप से छेद होता है। रुद्राक्ष का यह क्षेत्र नकली रुद्राक्ष में नहीं पाया जाता है।