Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan Review: कहानी में फिसड्डी सलमान खान की किसी का भाई किसी की जान

Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan Review: कुछ समय पहले फरहाद सामजी के द्वारा निर्देशित वेव शो पॉप कौन? तब इस वेव शो की बहुत आलोचना हुई थी।

इसके बाद लोगों ने अंदाजा लगाया कि उनके द्वारा निर्देशित और सलमान खान अभिनीत फिल्म किसी का भाई किसी की जान को भी लोगों की आलोचना का शिकार बनना पड़ सकता है।

लोगों की यह आशंका बिल्कुल सही साबित हुई फिल्म में यूं तो बड़े-बड़े सेट हैं सलमान खान का भी रुतबा है।

ईद को देखते हुए इस फिल्म में तड़कते भड़कते गाने भी डाले गए हैं लेकिन सबसे जरूरी कहानी पर किसी का ध्यान नहीं गया है। उसकी वजह से सलमान खान के होने के बावजूद भी फिल्म में कोई दम नजर नहीं आता है।

किसी का भाई किसी की जान की कहानी

यह फिल्म दिल्ली की एक बस्ती में शुरू होती है। जहां पर एक परिवार में सलमान खान अपने तीन भाइयों के साथ रहते हैं।

सलमान अपना परिचय भी इस फिल्म में देते हैं वैसे मेरा कोई नाम नहीं है पर मैं भाईजान के नाम से जाना जाता हूं। अपने भाइयों की परवरिश की खातिर भाई जान ने शादी नहीं की होती है।

इस कहानी के हीरो को अपनी जिंदगी में कोई ऐसा नहीं चाहिए जो कि उसके भाइयों से उसके प्रेम को कम करें। इसके बावजूद भी उसके तीनों भाई अपना दिल को दे बैठते हैं और अपने अपने लिए एक एक लड़की पसंद कर लेते हैं।

इस दौरान उन्हें पता चलता है कि उनके भाईजान भी एक लड़की भाग्यश्री से प्रेम करते हैं उन्हें लगता है कि भाग्य ने भी शादी नहीं की होगी। पर उन्हें निराशा हाथ लगती है।

अब इस फिल्म में थोड़ा सा मारधाड़ का मसाला भी डालना है तो इसलिए भाई जान की बस्ती पर एमएलए महावीर कब्जा करना चाहता है। उसी दौरान बस्ती में हैदराबाद से आई भाग्या (पूजाहेगडे) रहने आती है।

वह भाईजान को पहली नजर में ही अपना दिल दे बैठते हैं। वह भाईजान को मनाती हैं ताकि उनके तीनों भाई अपनी प्रेमिका से शादी कर सके।

Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan

उधर भाई जान को गुस्सा दिलाने के लिए अलग से पूजा हेगड़े के पीछे कुछ मजनू भी लगा दिए जाते हैं। ताकि फिल्म में और तड़का लगाया जा सके। भाग्या की सुंदरता को देखते हुए पूजा के पीछे कुछ रावड़ी पड़ जाते हैं। इसके बाद भाईजान तय करते हैं कि वह उन रावडी से भाग्या और उसके परिवार की रक्षा करेंगे। वह हैदराबाद में भाग्या के भाई वेंकटेश भाभी और मां रोहिणी से मिलने जाते हैं।

भाग्य का का भाई अहिंसाबादी  है वह कैसे भाई जान को स्वीकार करेगा। भाई जान कैसेभाग्या  और अपनी बस्ती की रक्षा करते हैं। कहानी इस संबंध में उतार-चढ़ाव लेकर आगे बढ़ती जाती है।

फिल्म में जरूरत से ज्यादा एक्टर्स की भरमार

पिछले कुछ समय से सलमान खान की ज्यादातर फिल्में पैसे कमाने के चक्कर में ईद पर ही रिलीज की जाती हैं क्योंकि फिल्म में एक्शन रोमांस ड्रामा और कॉमेडी का तड़का होता है।

यह सभी मसाले इस बार भी बेस्वाद ही रहते हैं। जब उन्हें सही मात्रा में मिलाकर बनाया जाता है तो तो सही रहता है लेकिन उसमें कुछ ज्यादा ही बड़ा दिए गए हैं। यह फिल्म साल 2014 में प्रदर्शित अजित कुमार की फिल्म वीरम से प्रेरित है। लेकिन यहां पर किसी लॉजिक  की उम्मीद बहुत कम है। यह बेढंगे पने  से आगे बढ़ती है।

इंटरवल के बाद यह कहानी पूरी तरीके से हैदराबाद में चली जाती है साउथ की लोकेशन को फिल्में एक्सप्लोर नहीं किया गया है।

सलमान के पात्र का नाम नहीं है। यह भी बताने की जरूरत नहीं समझी नहीं है। दिल्ली जैसे मेट्रो शहर में रहने के बावजूद उन्हें भैया दादा ना बुलाकर भाईजान बुलाने की वजह से भी कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

भाईजान की बस्ती भी कुछ अजीब ढंग की है। इसमें कहीं तो टूटे-फूटे घर दिखाएं । कहीं बहुत अच्छे अच्छे घर इसमें दिखा दिए गए हैं।

दिल्ली की मेट्रो रेल सेवा में सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम है। उसमें दर्जन भर से ज्यादा हथियारबंद लोगों पर हमले का सीन पचता नहीं है।

इस फिल्म में सलमान खान की हीरो वाली पहली फिल्म मैंने प्यार किया की क्लिप भी है उसमें उनका प्यार रही भाग्यश्री अपने रियल पति हिमालय और बेटे अभिमन्यु दस्सानी साथ मेहमान भूमिका में हैं।

उन्हें देखकर सीटी  जरूर बजती है। यह फिल्म पिछली सदी के आठवें दशक की याद दिलाती है। जब हीरो वन मैन आर्मी होता था और दुश्मनों को एक बार में चित कर देता था।

घिसे पिटे दृश्यों ने फिल्म को बोझिल बनाया

इस फिल्म में क्लाइमेक्स के सीन में हीरो दुश्मन से पिटने के बाद ढेर हो जाता है फिर उसे जगाने के लिए पूरा परिवार और मोहल्ला एकजुट होता जाता है जिससे उसमें जोश आ जाता है।

यह शायद अमिताभ बच्चन की फिल्म सट्टे पे सत्ता में चेन कुली की मेन कुली जैसा दृश्य है। इसमें चैन कुली की मैन कुली नहीं कहा गया है। इसके बाद दुश्मन को मार गिराता है यहां पर भी सब कुछ सत्ते  पे  सत्ता जैसा ही दिखाया गया है।

करियर के इस पड़ाव पर सलमान को अपनी फिल्मों के चयन को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें अपनी कहानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। फिल्म में वह एक्शन करते हुए दिखते हैं लेकिन इमोशन सीन में बेहद कमजोर और ओवरएक्टिंग करते हुए नजर आते हैं।

इंटरवल के बाद इस फिल्म में कटे हुए बालों और कटी हुई शैव से वह अपनी उम्र से भी कम नजर आते हैं। यह फोटो शॉप का पूरा कमाल है। पूजा हेगडे हिंदी में एक हिट फिल्म की तलाश में है पिछले साल की रिलीज़ सर्कस में वह रणवीर सिंह के साथ नजर आई थी।

फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई थी। अब वह सलमान के साथ ही हैं। वह फिल्म में बेहद खूबसूरत दिखाई देती हैं लेकिन फिल्म की कहानी मैं ही दम नहीं है उनकी खूबसूरती क्या रोल निभाएगी।

भाईजान की उम्र में बहुत फर्क होने के बावजूद भी पूजा हेगड़े को भाईजान में क्या दिखता है जिसकी वजह से वह पहली ही नजर में दिल दी बैठती है। आखिरकार समझ नहीं आता भाइयों के किरदार में सिद्धार्थ निगम, राघव जुयाल, जस्सी गिल के हिस्से में कुछ खास सीन नहीं है उनके किरदार अधपके  से हैं। भाइयों के बीच प्रेम  पर भी दिलचस्प नजर नहीं आती है।

तीन भाइयों की प्रेमिकाओं के तौर पर नजर आई शहनाज गिल, पलक तिवारी, बिनाली भटनागर भी शो पीस की तरह दिखाई देती हैं।

वह कहां से आई है उनका बैकग्राउंड क्या है कुछ पता नहीं है। वेंकटेश और सलमान को एक फ्रेम में देखना जरूर अच्छा लगता है।

दक्षिण भारतीय अभिनेता जगपति बाबू ने इस फिल्म में हिंदी सिनेमा में कदम रखा है। लेखन स्तर पर खलनायक का उनका पात्र दमदार नहीं बन पाया है।

फरहाद सामजी के कमजोर निर्देशन में उसे फीका कर दिया है। उन्होंने अपने अभिनय से उसे साधने का भरपूर प्रयास किया है। लेकिन कहानी के साथ सुसंगत नहीं लगते हैं। स्वाद भी काफी फीका लगता है। इस फिल्म की अवधि 144 मिनट है।

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