Lakadbaggha Movie Review in Hindi 2023: भारत में पिछले कुछ समय से कुत्तों को लेकर काफी हल्ला मच रहा है। कुत्तों के कारण कई लोग अपनी जान गवा चुके हैं और कई लोगों को कुत्ते काट चुके हैं।
कुछ जानवरों के प्रेमी इनकी सुरक्षा के लिए आतुर रहते हैं तो कुछ इन को मारना चाहते हैं। लकड़बग्घा फिल्म भी इन्हीं कहानी पर आधारित है।
यह गली के कुत्तों पर हो रहे अत्याचारों के लिए आवाज उठाने वाली फिल्म है। फिल्म का कंसेप्ट अच्छा है। अब यह देखना है कि विक्टर मुखर्जी और एनिमल लवर्स का ये प्यारा सा तोहफा लोगों को पसंद आता है या नहीं
Lakadbaggha Movie Review in Hindi 2023
फिल्म की कहानी में अर्जुन बक्शी (अंशुमन झा) कोलकाता में रहते हैं और वह पेशे से एक कोरियर बॉय हैं। इसके साथ साथ वह जानवरों से प्यार करने वाले भी हैं।
अर्जुन बक्शी खाली समय में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देते हैं। जिससे उनकी एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है। कहानी आगे बढ़ती है तो अंशुमन झा जोकि अर्जुन बक्शी है उनकी जिंदगी में तब भूचाल आता है जब उनका प्यारा डॉग शोकी गुम हो जाता है।
अपने डॉग की खोज में अर्जुन की मुलाकात क्राइम ब्रांच ऑफिसर रिद्धि डोगरा से होती है। रिद्धि डोगरा का अर्जुन बक्शी की ओर झुकाव हो जाता है और दोनों में प्रेम संबंध हो जाते हैं और फिल्म में रोमांस शुरू हो जाता है।
इसी के साथ ही अर्जुन के सामने भारत कीलुप्त प्रजाति हायना जो कि लकड़बग्घा की प्रजाति का है।
एक सच सामने आता है। जब वह और आगे पड़ताल करती हैं तो इसकी कड़ियां जुड़ती जाती हैं और यह अबैध पशु व्यापार तक पहुँचती हैं। अब यह देखना है कि क्या अर्जुन को अपना पालतू डॉग मिलता है।
यह फिल्म में लकड़बग्घे की क्या कहानी है। रिद्धि डोगरा के साथ उनकी लव स्टोरी कितनी आगे पहुंच पाती है। यह जानने के लिए आपको सिनेमा घर जाना होगा।
अभिनय की बात करें तो अंशुमन झा जिन्होंने कोरियर बॉय का किरदार निभाया है। उनमें कोरियर बॉय की झलक दिखती भी है पर पूरी फिल्म में उनके चेहरे पर एक जैसा ही एक्सप्रेशन रहता है।
लकड़बग्घा की ट्रेनिंग के लिए उन्होंने मार्शल आर्ट ट्रेनिंग भी ली है जिसका कुछ असर उनके फाइट सींस पर भी देखने को मिलता है। फिल्म में रिद्धि डोगरा के साथ उनका रोमांस पुराना घिसा पिटा रोमांस है।
रिद्धि कि यह डेब्यू फिल्म है उन्होंने अच्छा काम करने की कोशिश की है। मिलिंद सोमन अच्छे एक्टर हैं उन्हें फिल्म में कम स्क्रीन मिली है। परेश पाहुजा टिपिकल विलेन लगते हैं जिन्होंने बिल्कुल भी अपनी छाप नहीं छोड़ी है।
Review
भारत में जिस प्रकार डॉग्स को लेकर हल्ला मचा है। इस को भुनाने के सोचकर अंशुमन झा और व्यक्ति का फैसला तो सही था पर फिल्म को पर्दे पर बैसा उतार पाने में असफल रहे हैं।
फिल्म की रफ्तार भी धीमी है। यह दर्शकों को बांधे रखने में असफल रही है कई जगह अनावश्यक डायलॉग और सीन है इसे फिल्म से हटाया भी जा सकता था।
इसके अलावा फिल्म में लकड़बग्घा शीर्षक के इर्द-गिर्द कुछ भी नहीं है। लकड़बग्घा नाम यह सोच कर रखा है की फिल्म विदेशी फिल्म जैसी लगे। आगे चलकर फिल्म अर्जुन के पालतू कुत्तों पर अधिक जोर देती है और लकड़बग्घे का पता नहीं चलता है। अगर आप एनिमल लवर है तो एक बार फिल्म जरूर देखें।