Leopard Hunt in His Cave: यह कहानी 1950 के दशक की येलागिरी नामक गांव की है। येलागिरी तमिलनाडु के जिले तिरूपत्तूर में स्थित एक हिल स्टेशन है। यहां पर तरह-तरह के फूलों के पेड़ों से घिरा हुए हिल स्टेशन हैं। इस गांव के लोग बहुत ही गरीब थे और पशु का का दूध ही इनकी आजीविका का साधन था। यहां पर लोग खेती भी करते थे पर इतनी ज्यादा पैदावार नहीं होती थी कि वह इसके द्वारा ही अपनी आजीविका चला सके।
गाय का महत्व
पहाड़ी इलाकों में उस समय गाय का महत्व बहुत ज्यादा होता था। जिस आदमी पर जितनी ज्यादा गाय होती थी। वह उतना ही संपन्न माना जाता था। अगर किसी व्यक्ति का एक भी पालतू मवेशी मारा जाता तो उस गांव के लोगों की आजीविका पर खतरा मंडराने लगता था। गांव वाले लोगों का एक समय का भोजन दूध ही होता था क्योंकि उस समय खेती से पैदावार इतनी ज्यादा नहीं होती थी। तभी वहां पर एक तेंदुआ एक्टिव हो गया। येलागिरी के आसपास के गांवों में एक तेंदुआ पालतू मवेशियों का रोजाना शिकार करने लगा। वह रोजाना किसी न किसी गाय भैंस को मार देता था।
गांव वाले जब भी जंगल में अपने मवेशियों को चराने के लिए जाते तो वह उन मवेशियों में से किसी एक को मार देता था। रोजाना वह किसी ना किसी पशु को जरूर मारता। शुरुआत में वह तेंदुआ इंसानों से डरता था। जब भी लोग उस तेंदुए को भगाने के लिए हल्ला मचाते या हाथ में कुछ लेकर उसके पीछे दौड़ते तो वह तेंदुआ भाग जाता था।
अब धीरे-धीरे उस तेंदुए के अंदर से इंसानों का डर निकलने लगा। अब वह निडर होकर लोगों के सामने से ही उनके पशुओं को उठाकर ले जाता था। जिसके कारण लोगों ने अब जंगलों में अपने मवेशियों को ले जाना छोड़ दिया। वह अपने गांव के आस-पास ही अपने मवेशियों को चराने के लिए ले जाते थे। जंगली जानवरों का शिकार करना उस तेंदुए के वश में नहीं था या तो वह घायल होगा या उसके कैनायन दांत टूटे होंगे इसलिए तेंदुआ गांव के आसपास ही घूमने लगा। कुछ दिनों तक शांत रहने के बाद वह तेंदुआ अब गांव के आस-पास ही मवेशियों को मारने लगा।
दिन पर दिन उसका डर निकलता जा रहा था। तेंदूए अक्सर रात में शिकार करते है लेकिन यह तेंदुआ दिन में ही बकरी को मार देता था। कभी-कभी गाय को भी मार देता था। एक बार उस तेंदुए ने गांव वालों के सामने ही एक गाय पर झपट पड़ा। गांव वाले गाय को बचाने के लिए तेंदुए की तरफ दौड़े और शोर मचाने लगे। इसके बाद तेंदुआ ने गाय को तो छोड़ दिया है लेकिन वह गांव वालों के ऊपर ही कूद पड़ा।
इससे डरकर गांव वाले वापस गांव में भाग आए। इनके गांव में लौटने के बाद वह तेंदुआ गाय कों को घसीटकर जंगल की ओर ले गया। अब गांव वाले बहुत परेशान हो गए थे।
तेंदुए का नाकाम शिकार
वह एक पास के ही शिकारी के पास गए जिसके पास पुरानी किस्म की बंदूक थी। उस शिकारी ने गांव के पास ही एक पेड़ को चुनकर उस पर मचान को बंधवा दिया।
उस पेड़ से कुछ ही दूरी पर उसने एक बकरी को बधवाया और वापस घर पर आ गया। शाम होते ही वह मचान पर आकर बैठ गया। अंधेरा होते ही वह तेंदुआ वहां पर आ गया और उसने बकरी पर हमला कर दिया। उस बकरी को मुंह में दबाकर खींचने लगा।
बकरी को मजबूत रस्सी से बांधा गया था । इसी बीच उस शिकारी ने निशाना साध कर इस तेंदुए पर फायर कर दिया। गोली लगते ही तेंदुआ जंगल की ओर चला गया। उस आदमी ने लोगों को बताया कि उसने तेंदुए में गोली मार दी है। अब वह तेंदुआ कभी वापस नहीं आएगा। किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि वह तेंदुए को रात में खोजें।
सुबह होते ही लोगों ने टोली बनाई और उस तेंदुए को खोजने के लिए निकल पड़े। तेंदुए का उस जंगल में कहीं पर कोई अता पता नहीं मिला। कुछ दिनों तक तो शांति बनी रही लेकिन तीसरे चौथे दिन एक घटना घटित हुई जिसमें एक लड़का जिसकी उम्र 15 से 16 साल थी वह गांव से दूसरे गांव जा रहा था। उसने जंगल वाला रास्ता चुना और वह घने जंगल से होकर जा रहा था। वह लड़का इससे पहले भी इसी जंगल के रास्ते से जा चुका था इसलिए वह बिना किसी हतियार के ही उस रास्ते से जा रहा था।
वह लड़का अपनी धुन में चलता जा रहा था। तभी उस लड़के ने अपने से 100 गज की दूरी पर एक तेंदुए को अपनी ओर निगाह घढ़ाते हुए देखा। वह तेंदुआ अपने पिछले पैरों पर बैठा हुआ पाया। इससे पहले भी उस लड़के ने जंगल में कई बार तेंदुए को देखा था लेकिन हर बार तेंदुए उस लड़के को देख कर अपना रास्ता बदल देते थे। लेकिन उस तेंदुए ने अब इस लड़के की ओर हमला करने के लिए पोजीशन बना ली थी।
इंसान पर तेंदुए का पहला हमला
इसके बाद उस लड़के ने वापस अपने गांव की ओर दौड़ना शुरू कर दिया कुछ ही सेकंड में तेंदुए ने उस लड़के को पकड़ लिया और उसके ऊपर बैठ गया। तेंदुआ उसके ऊपर हमला कर रहा था। इसी दौरान उस लड़के के हाथ में एक मोटी लकड़ी आ गई। उस लड़के ने उस लकड़ी को तेंदुए के मुंह में घुसा दिया।
तेंदुए को इस तरह के प्रतिरोध की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। तेंदुए ने उस लकड़ी को मुंह में दबाकर जंगल में भाग गया। लड़के को वहीं पर छोड़ दिया। लड़के के शरीर पर तेंदुए के नाखूनों की हल्के निशान बने थे। जब वह लड़का अपने गांव में पहुंचा तो उसने अपने साथ जो जो घटित हुआ वह सब गांव वालों को बताया। इससे गांव के लोग और भी ज्यादा डर गए। क्योंकि इससे पहले वह तेंदुआ मवेशियों को ही अपना शिकार बनाता था। इसके बाद एक और घटना घटित हुई। एक लड़का अपने पांच बकरियों को चराने के लिए जंगल में गया। तभी तेंदुए ने उन पर हमला कर दिया और बकरी को पकड़ लिया। इस लड़के ने अपने हाथ में जो डंडा था उससे उस तेंदुए को भगाना चाहा। इसके बाद तेंदुए ने उस बकरी को तो छोड़ दिया लेकिन उस लड़के पर टूट पड़ा। इसके बाद बकरियां ठीक-ठाक घर पहुंच गई।
गांव वालों और उसके घर वालों को एहसास हुआ कि इन बकरियों का मालिक कहां है। लोगों को अब यह चिंता सताने लगी कि वह लड़का कहां है। क्योंकि उन्होंने एक बकरी पर तेंदुए के द्वारा दिए गए जख्मों को देख लिया था जिनमें से काफी खून बह रहा था। इससे डरकर रात में किसी भी आदमी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह जंगल में जाकर लड़के को खोजें। अगली सुबह कुछ हिम्मती लोगों की एक टोली बनाई गई।
उन लोगों को जंगल में उस लड़के को खोजने के लिए भेजा गया। डरते डरते वह लोग जंगल में उस आदमी को खोजने लगे । कुछ देर की खोज के बाद उन लोगों को पास ही के झरने के पास उस लड़की की लाश मिल गई । जिसको उस तेंदुए ने खाया हुआ था। उस लड़के के अंतिम संस्कार के लिए लोग उस आदमी की लाश को वापस गांव में उठा लाए।
कैनेथ एंडरसन उस गांव के पास ही के गांव में हमेशा आया जाया करते थे क्योंकि कैनेथ एंडरसन ने उस गांव के पास एक जमीन खरीदी थी। जिस पर बहुत अधिक लैंटाना की झाड़ियां थी। जिसको एंडरसन कटवाना चाहते थे। उस दिन कैनेथ एंडरसन अपने 2-4 मजदूरों के साथ उस जमीन पर पहुंचे। और सब लोगों को काम पर लगा दिया। सभी लोगों ने उनको बता दिया कि वह लोग काफी चौकन्ना होकर यहां पर काम करें।
गांव में तेंदुए ने इंसानों को शिकार बनाना शुरू कर दिया है। कैनेथ एंडरसन को बिल्कुल भी पता नहीं था कि वहां पर कोई तेंदुआ लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इसके बाद कैनेथ एंडरसन गांव में पहुंच गए जहां पर तेंदुए ने दो आदमियों को अपना शिकार बनाया था। एंडरसन ने वहां के मुखिया से उन घटनाओं के बारे में जानकारी ली और मुखिया की मदद से तीन गधों को खरीदा और तीन अलग-अलग जगह पर उनको बांध दिया। अगले 3 दिनों तक वह अपने बांधे गए गधो का निरीक्षण करते रहे पर किसी भी गधे को तेंदुए ने नहीं मारा था।
इसके बाद कैनेथ एंडरसन ने उस गांव के मुखिया से कहा कि मैं अपने घर बेंगलुरु जा रहा हूं आगे कोई भी ऐसी घटना होती है तो मुझे बताएं और मैं तुरंत ही आ जाऊंगा। कैनेथ एंडरसन ने अपना पता और कुछ रुपए मुखिया के हाथ में दिए और बेंगलुरु की ओर निकल पड़े। कुछ दिनों के बाद उनके पास एक तार आया जिसमें उसी गांव के एक आदमी के मारे जाने की बात लिखी थी। खबर मिलने के साथ ही कैनेथ एंडरसन उस गांव के लिए निकल पड़े। रात होने से पहले कैनेथ एंडरसन उसी गांव में पहुंच गए।
मुखिया ने कैनेथ एंडरसन को बताया कि उस गांव के डाकिए को तेंदुए ने मार डाला है। जिससे डर के कारण कोई भी दूसरा आदमी डाक को ले जाने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए कैनेथ एंडरसन तक सूचना पहुंचाने के लिए उन लोगों को इतना समय लग गया। कैनेथ एंडरसन ने मुखिया से एक बकरी का व्यवस्था करने को कहा। बकरी की कीमत कैनेथ एंडरसन ने उस मुखिया को दी। मुखिया द्वारा लाई गई बकरी को एक चुने हुए स्थान पर उन्होंने बंधवा दिया।
एक चारपाई की मदद से एक मचान पेड़ पर बंदबायी और शाम होने से पहले वह उस पर बैठ गए। धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा और अंधेरे ने पूरे जंगल को अपने आगोश में ले लिया। जब पूरे जंगल में पूरी तरीके से अंधेरा हो गया। तभी कैनेथ एंडरसन को अपने पेड़ के नीचे से तेंदुए के घुरराने की आवाज आने लगी। कैनेथ एंडरसन जानते थे कि तेंदुए पेड़ों पर चढ़ने में माहिर होते हैं और तेंदुए के नाखूनों की आवाज एंडरसन को आ रही थी।
इससे यह लग रहा था कि तेंदुए ने कैनेथ एंडरसन को देख लिया है। इसलिए तेंदुआ उसी पेड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था। जिस पर कैनेथ एंडरसन मचान बनाकर बैठे थे । कैनेथ एंडरसन ने अपनी राइफल को नीचे किया और उस पर लगे टॉर्च को जलाया। उनको अपने सामने पत्ते दिखाई दिए फिर भी उन्होंने एक फायर कर दिया। गोली चलने के बाद कैनेथ एंडरसन को उस तेंदुए की हल्की झलक दिखी। वह भी तब जब वह पेड़ पर से कूदकर जंगल की ओर जा रहा था।
एंडरसन को दूसरी गोली चलाने का मौका नहीं मिला। इसके बाद कैनेथ एंडरसन उसी पेड़ पर बैठकर अपने कानों की मदद से आवाज को सुनने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन एक-दो घंटे के बाद भी कैनेथ एंडरसन को कोई भी ऐसी आवाज सुनाई नहीं दी।
इससे यह पता चलता कि वह तेंदुआ आस पास नही है। जिस ओर तेंदुआ गया था उसी तरफ कैनेथ एंडरसन ने एक और गोली चला दी। अगर तेंदुआ उसी झाड़ी में छिपा हो तो कुछ हलचल जरूर करेगा। वहां पर कोई हलचल नहीं हुई। फिर भी कैनेथ एंडरसन ने और इंतजार किया । लेकिन तेंदुए की कोई हलचल उधर से या कोई आवाज उधर से नहीं आई।
कैनेथ एंडरसन पेड़ से नीचे उतरे और अपनी बांधी हुई बकरी को खोल कर वापस गांव में आ गए। अगले दिन कैनेथ एंडरसन उसी जगह पर पहुंचे जहां पर उन्होंने अपना मचान बनाया था । वहां पर कैनेथ एंडरसन को कोई भी खून के निशान नहीं मिले। इसका मतलब साफ-साफ था उनके द्वारा चलाई गई गोली ने तेंदुए को घायल नहीं किया था।
एंडरसन की छुट्टियां तब तक खत्म हो गई थी। वह वापस बेंगलुरु आ गए। कुछ दिन बीत जाने के बाद कैनेथ एंडरसन को फिर से एक लड़की के मारे जाने की खबर मिली। खबर मिलते ही कैनेथ एंडरसन उसी गांव में पहुंचे। कैनेथ एंडरसन ने उस जगह पर पहुंचकर उस जगह का मुआयना किया था जहां पर तेंदुए ने उस लड़की को मारा था। वहां पर उस लड़की के खून के सूखे निशान पड़े हुए थे।
तेंदुए ने आज तक जितने जानवर और इंसानों का शिकार किया था कैनेथ एंडरसन ने बारीकी से उसकी जांच पड़ताल की तो उन्हें एक चीज अजीब लगी। वहां पर एक ऐसी जगह मिली जहां पर झाड़ियों के अंदर तेंदुए की गुफा जैसी आकृति थी। जिसके अंदर से तेंदुए की गंध आ रही थी और पास की झाड़ियों में उस तेंदुए के बाल भी लगे थे।
लोगों ने एंडरसन को यह भी बताया था। यह तेंदुआ वहां से कुछ दूरी पर पहाड़ियों में बनी गुफाओं में रहता है। तब कैनेथ एंडरसन ने अंदाजा लगाया कि यह रास्ता गांव वालों का आम रास्ता है और वह अपनी गुफा से निकलने के बाद यहीं पर लोगों का इंतजार करता है और मौका पाकर अपने शिकार पर कूद जाता है। यह जगह उस तेंदुए के छिपने के स्थान के लिए बिल्कुल परफेक्ट जगह थी।
तब एंडरसन ने एक योजना बनाई कि वह पहले से ही आकर इस जगह पर बैठ जाएंगे और उस तेंदुए का इसी गुफा में इंतजार करेंगे। वह वापस गांव में लौट गए और गांव के मुखिया से एक बकरी की व्यवस्था करने को कहा। शाम के समय कैनेथ एंडरसन ने लोगों की मदद से बकरी को वहां पर बांधा और उस गुफा में जाकर बैठ गए। जिस समय बकरी को वहां पर बांधा था। तब तक वह बकरी कुछ समय तक बोलती रही। फिर उसके बाद चुप हो गई।
रात होने पर बकरी एकदम शांत हो गई। अब एंडरसन को लग रहा था कि उनकी योजना फेल हो गई है। बकरी की आवाज से ही वह तेंदुआ आकर्षित होता। और बकरी बिल्कुल चुप हो गई थी। पूरी रात कैनेथ एंडरसन वहीं पर शांत होकर बैठे रहे। अब कैनेथ एंडरसन की योजना पूरी तरीके से विफल हो गई । अगले दिन कैनेथ एंडरसन उस बकरी को मुखिया के पास ले गए और कहा मुझे ऐसी बकरी चाहिए जो कि बोलती रहे यह बकरी तो रात में चुप हो गई थी।
तब उस मुखिया ने एंडरसन को अपने साथ चलने को कहा वह एंडरसन को दूसरे गांव में ले गया। वहां से एंडरसन ने एक जवान बकरी को चुना जो ज्यादा आवाज कर रही थी। पिछले दिन की तरह आज भी कैनेथ एंडरसन को उसी प्रकार उसी गुफा में बैठना था। आज एंडरसन ने अपनी पोजीशन बकरी के बांधने से बाद ली थी।
तेंदुए का गुफा में शिकार
इसके बाद उन्होंने बकरी को दूर बंधवा दिया जिससे बकरी को रात होने पर यह ना लगे कि वह किसी इंसान के साथ है। बकरी को यह लगना चाहिए कि वह अकेली है और बहुत तेज आवाज करें। कैनेथ एंडरसन की योजना काम कर गई। शाम होने पर वह लोग बकरी को उसी जगह पर बाध कर वापस गांव में लौट गए । तभी से उस बकरी ने तेज आवाज में बोलना शुरू कर दिया। पास की झाड़ियों जैसी गुफा में एंडरसन ने अपनी पोजीशन ले ली थी। कैनेथ एंडरसन काफी खुश हो रहे थे कि अगर वह तेंदुआ आसपास ही है तो वह बकरी के पास जरूर आएगा। धीरे-धीरे पूरे जंगल को अंधेरे ने अपनी आगोश में ले लिया। तभी एंडरसन को किसी जानवर के तेज सांस छोड़ने की आवाज सुनाई दी। ऐसी आवाज अक्सर तब आती है।
जब कोई तेंदुआ अपने शिकार पर हमला करने ही वाले होते हैं लेकिन यह आवाज कैनेथ एंडरसन को अपने पास ही सुनाई दे रही थी। कैनेथ एंडरसन ने झटके से अपनी राइफल पर लगा हुआ टॉर्च जलाया। ठीक उनके सामने तेंदुआ मुंह खोले हुए खड़ा था। वह उन्हीं की तरफ देख रहा है और उनके ऊपर हमला करने ही वाला था।
एंडरसन ने यह देखते हुए एक गोली उस तेंदुए के सिर पर मारी। जिसके कारण तेंदुआ पीछे की तरफ अपने दोनों पैरों पर खड़ा हो गया। इसके बाद कैनेथ एंडरसन ने उसके दिल को निशाना बनाते हुए एक और गोली मार दी। इसके बाद वह तेंदुआ पीछे की ओर लुडकता हुआ अंधेरे में बिल्कुल गायब हो गया।
इतने पास से तेंदुए को मौत के रूप में देखने पर कैनेथ एंडरसन की सांसें तेज तेज चल रही थी और उन्हें आसपास की कुछ भी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। कुछ देर के बाद जब कैनेथ एंडरसन की सांस नॉर्मल हुई। तब वह बड़े ध्यान से आसपास की आवाज को सुन रहे थे। कुछ घंटे इसी तरह बिताने के बाद उन्होंने अपनी राइफल को कंधे पर टांग कर गुफा से बाहर निकल कर आए और वापस गांव की ओर चले गए। उन्होंने उस बकरी को वहीं पर छोड़ दिया। कैनेथ एंडरसन ने सोचा अगर वह तेंदुआ किसी भी कारण जिंदा बच गया होगा तो उस बकरी पर जरूर हमला करेगा।
अगली सुबह कैनेथ एंडरसन अपने साथ कुछ लोगों को लेकर उस जगह पर वापस लौटे। वह बकरी पूरी तरीके से सही सलामत थी लेकिन वह तेंदुआ पास ही के गड्ढे में मरा हुआ पड़ा था। उनके शरीर से बहुत खून बह रहा था। कैनेथ एंडरसन ने पास ही के 2 बड़े बांस को कटवाया और तेंदुए को उस पर बधवाया। गांव के लोग उसकी लाश को बांस पर बांधकर गांव की ओर ला रहे थे जिससे गांव के लोग भी उस आदमखोर को देख सकें जिसने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। एंडरसन ने जब ध्यान से उस तेंदूए का मुआयना किया तो उन्होंने पाया यह तेंदुआ अपने बुढ़ापे की ओर था।
उसके कैनाइन दांत अब बिल्कुल गिर चुके थे और पंजों के नाखून में टूटे हुए थे। जिसके कारण वह जंगली जानवरों को अपना शिकार नहीं बना पा रहा था। वह पालतू जानवरों पर आश्रित हो गया था और इंसानों पर आश्रित हो गया था। इंसान ज्यादा तेज भाग नहीं सकता है और ज्यादा विरोध भी नहीं कर सकता है इसलिए इंसान ही उसका बड़ा आसान शिकार हो गए थे। इसलिए वह दिन पर दिन आदमियों को मारता गया। लेकिन अब कैनेथ एंडरसन के द्वारा उसका अंत हो चुका था। तब कैनेथ एंडरसन ने उसकी खाल को उतारा।