Lohri 2023: भारत एक त्यौहारो वाला देश है। भारत में मनाए जाने वाले सभी प्रकार के त्यौहारो किसी ना किसी विशेष घटना या प्राचीन कथाओं पर आधारित होते हैं। भारत में अलग-अलग जाति, धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं। वह अपने धर्म के अनुसार अपने त्यौहार भी मनाते हैं। सिखों और पंजाबियों का मुख्य त्यौहारो लोहड़ी भी हर वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है।
यह देश के उत्तर प्रांत में ज्यादा मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में पतंगबाज़ी का आनंद लिया जाता है। उत्तर भारत के कई राज्य दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी की रोनक अलग ही होती है।
लोहड़ी को सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती है।
लोहड़ी क्या है? (What is Lohri)
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लोहड़ी सिखों और पंजाबियों का मुख्य त्यौहार है। यह मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी पर्व को इस साल जनवरी महीने में 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। लोहड़ी पर्व को पंजाब राज्य में मुख्य रूप से मनाया जाता है। लोहड़ी का अर्थ ‘ल’ (लकड़ी)+ओह(सूखे उपले)+डी (रेबड़ी)।
इस दिन लकड़ी और सूखे उपलों का अलाव जलाया जाता है। रेबड़ी, मूंगफली की उसमें आहुति देकर रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। लोहड़ी पर्व के 20 से 25 दिन पहले छोटे बच्चों द्वारा लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं ।
इकट्ठी की गई सामग्री लकड़ी ईंधन को चौराहे, मोहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है इसे “चरखा चढ़ाना” कहते हैं।
लोहड़ी पर निबंध
लोहड़ी वाले दिन शाम को आग जलाई जाती है और उसकी परिक्रमा की जाती है। सभी लोग आग के चारों ओर नाचते गाते हुए आग में मूंगफली, रेवड़ी, मक्के के दाने आदि को डालते हैं। इस दिन परिवार के सारे लोग नाचते गाते हैं।
इसके साथ ही प्रसाद के रूप में गजक, रेवड़ी, मक्के के दानों का आनंद लेते हैं। पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार नई बहू और लड़कियों के लिए खास महत्व रखता है।
इस दिन अपने घर की लड़कियों को जिनकी शादी हो चुकी होती है उनको बुलाया जाता है और उनको उपहार दिए जाते हैं और उनका सम्मान किया जाता है।
लोहड़ी त्यौहार को लेकर अनेक प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं जिनमें सुंदरी, मुंदरी और डाकू दुल्ला भट्टी की कथा प्रमुख है। इसके साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा, संत कबीर दास की पत्नी लोई की कथा आदि प्रचलित है।
यह त्यौहार पंजाब के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। पंजाब में और इसके आसपास के राज्यों में इस त्यौहार को बड़ी धूमधम से मनाया जाता है।
इस उत्सव का नजारा बड़ा ही अनोखा और सुन्दर होता है लोगों ने अब इस त्यौहार को मनाने का अलग तरीका ही निकाल लिया है। लोग अब समितियां बनाकर भी लोहड़ी को मनाने लगे हैं।
ढोल, नगाड़ा की इसमें पहले से ही बुकिंग कर ली जाती है। इसके बाद लोहड़ी के गीत शुरू होते हैं और स्त्री, पुरुष, बूढ़े, बच्चे सभी स्वर से स्वर ताल से ताल मिला कर नाचने गाने लगते हैं।
लोहड़ी का त्यौहार कब है?
लोहड़ी का त्यौहार जनवरी के महीने में मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह उत्तर भारत खासकर पंजाब का मुख्य पर्व है। इस वर्ष 2023 में यह त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। क्योंकि इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है।
इस दिन बच्चे, युवा, लकड़ियां, इकट्ठा करते हैं और लोहड़ी वाले दिन, गोबर के उपलों और लकड़ियों को एक खाली स्थान पर जलाकर सभी लोग लोकगीत गाते हैं, नाचते हैं और अग्नि की परिक्रमा करते हैं और अग्नि में मूंगफली, गजक, रेवड़ी, मेवे आदि की आहुति देते हैं।
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इस त्यौहार में किसान भी अग्नि में अपनी नई फसल की आहुति देते हैं और प्रसाद के रूप में सभी लोगों को रेवड़ी, मूंगफली, गजक आदि बांटते हैं।
लोहड़ी का त्यौहार कहां मनाया जाता है?
लोहड़ी का त्यौहार कई राज्यों में मनाया जाता है जिनमें-
- पंजाब
- हरियाणा
- जम्मू कश्मीर
- हिमाचल प्रदेश
- दिल्ली
इन राज्यों में लोहड़ी का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन पतंगबाजी भी की जाती है और मूंगफली और रेबडियो और मक्के के दानों का आनंद लिया जाता है।
लोहड़ी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ी के ढेर और उपलों का ढेर बनाया जाता है। फिर उसमें आग लगा दी जाती है। इसके बाद लोग समूह के साथ उस अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली की आहुति देते हैं और लोहड़ी पूजन करते हैं। इस अवसर पर ढोल की थाप के साथ गिद्धा और भांगड़ा नृत्य किया जाता है।
पंजाब में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। जिस घर में नई बहू आई होती है या घर में नए बच्चे का जन्म हुआ होता है तो उस परिवार की ओर से खुशी बांटते हुए लोहड़ी मनाई जाती है और सभी संबंधी रिश्तेदार उन्हें इस दिन बधाइयां और बच्चे को आशीर्वाद देते हैं।
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी अग्नि और सूर्यदेव के प्रति आभार प्रकट करने का त्योहार है। पंजाब में फसल कटने के बाद इसे मनाया जाता है। लोहड़ी की अग्नि में गेहूं की बालियां, रेवड़ी डाली जाती है और रवि की फसल की अच्छी पैदावार के लिए सूर्य देव और अग्नि को धन्यवाद किया जाता है। इस दिन गुड़, तिल, और मूंगफली से बनी चीजों का सेवन करना अच्छा माना जाता है।
लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी को याद कर सुंदरी मुंदरी की कहानी जरूर सुनाई जाती है। साथ ही नई फसल की उन्नति की कामना की जाती है और नई जोड़ों को बुलाकर उनका सम्मान किया जाता है। उन्हें तोहफे दिए जाते हैं और नई पैदा हुए बच्चों को भी इसमें बुलाकर आशीर्वाद दिया जाता है।
लोहड़ी पर्व का एक खास महत्व है। बड़े बुजुर्गों के साथ उत्सव मनाते हुए नई पीढ़ी के बच्चे अपनी पुरानी मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों का ज्ञान प्राप्त करते हैं ताकि भविष्य में यह त्यौहार पीढ़ी दर पीढ़ी इसी प्रकार चलते रहे।
वहां उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बांटा जाता है। इसके साथ-साथ पंजाबी लोग घर लौटते समय लोहड़ी में से अग्नि भी प्रसाद के रूप में ले जाते हैं। इस दिन ढोल की थाप के साथ गिद्धा नाच भी किया जाता है जो देर रात तक इसी प्रकार चलता रहता है।
लोहड़ी पौराणिक कथाएं
दुल्ला भट्टी की कथा
पुरानी कथाओं के अनुसार जिस समय भारत में मुगल शासन चल रहा था उस समय मुगल काल के राजा अकबर के समय पंजाब प्रांत में एक लुटेरा रहा करता था। उस लुटेरे का नाम दुल्ला भट्टी था। दुल्ला भट्टी का काम पंजाब के सभी इलाकों में लूटपाट करना था।
वह हर बार अपनी लूट का शिकार धनी लोगों को ही बनाता था। एक बार की बात है जब पंजाब के ही किसी गांव में दो अनाथ लड़कियों की जो कि उनके चाचा द्वारा एक राजा को बेची गई थी। जिनका नाम सुंदरी मुंदरी था ।
सुंदरी मुंदरी का चाचा उनके विवाह के बजाय उन्हें राजा को पीट स्वरूप देना चाहता था उसी समय दुल्ला भट्टी ने उन दोनों लड़कियों को राजा को भेंट होने से बचा लिया था। दुल्ला भट्टी द्वारा उन दोनों कन्याओं का विवाह विधिवत तरीके से योग्य वर से कराया।
कन्याओं के विवाह के समय उसके द्वारा कन्यादान के रूप में उनकी झोली में एक फीट चीनी शक्कर डाली जाती थी। दुल्ला भट्टी नाम के डाकू का दो अनाथ कन्याओं को विवाह करा कर पिता के फर्ज निभाने की याद में लोहड़ी मनाई जाती है।
भगवान कृष्ण और लोहिता की कथा
भगवान कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा के अनुसार मकर संक्रांति के समय जब कंस ने कृष्ण की हत्या के लिए लोहिता नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था।
श्रीकृष्ण ने उस राक्षसी को अपने ही माया जाल में फंसा कर खेल-खेल में उस राक्षसी को मार डाला था। ऐसा माना जाता है कि राक्षसी लोहिता की मृत्यु के फलस्वरुप लोहड़ी लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।
भगवान शंकर और सती माता की कथा
जिस समय राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती को निमंत्रण भेजा था। उस समय माता सती और भगवान शिव जी उनके यहां गए थे। इस यज्ञ में राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया जिससे माता सती दुखी हुई और स्वयं को अग्नि के हवाले कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। ऐसा भी माना जाता है कि उनकी याद में लोहड़ी पर्व मैं अग्नि जलाई जाती है और पर्व मनाया जाता है।
लोहरी त्यौहार की खासियत
जनवरी के महीने में लोहड़ी के आगमन के पहले ही युवा एवं बच्चे लोहड़ी के गीत गाते हैं। 20 से 25 दिन पहले घर घर जाकर गीत गाए जाते हैं और कई वीर शहीदों जिनमें दुल्ला भट्टी का भी नाम लेकर याद किया जाता है।
लोहड़ी एवं पकवान
लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मूंगफली आदि खाई जाती है और इन्हीं के पकवान भी बनाए जाते हैं। लोहड़ी में विशेष रूप से सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाई जाती है और आपस में बड़े प्यार से खाई और खिलाई जाती है।
लोहड़ी बहन बेटियों का त्यौहार
लोहड़ी वाले दिन जिन बेटियों की शादी हो चुकी होती है उनको घर बुलाया जाता है उनका सम्मान किया जाता है और उनसे अपनी गलतियों की क्षमा मांगी जाती है।
इस दिन नवविवाहिता जोड़ी को भी पहली लोहड़ी की बधाई दी जाती है और बच्चे के जन्म पर भी पहली लोहड़ी की बधाई के साथ नए बच्चे को आशीर्वाद भी दिया जाता है।
लोहड़ी में अलाव
लोहड़ी के कई दिनों पहले से ही बच्चे और युवा लकड़ियां इकट्ठा करते हैं और उपले इकट्ठे करते हैं उन्हें नगर के बीचो बीच एक अच्छे और खुले स्थान पर एकत्र करके रख देते हैं।
लोहड़ी वाली रात को सभी लोग अपनों के साथ मिलकर उस अलाव के चारों ओर बैठते हैं। उस अलाव में आग लगाते हैं, मंगल गीत गाते और नाच गाने करते हैं। और लोहड़ी के बधाई देते हैं। इस अग्नि के ढेर के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और अच्छाई की कामना करते हैं।
लोहड़ी के साथ नववर्ष
पंजाब में लोहड़ी की धूम ऐसी होती है जैसे नए साल की धूम होती है। लोग आपस में एक दूसरे को बधाई संदेश भेजते हैं और एक दूसरे से प्यार प्रेम से रहते हैं और एक दूसरे के साथ नाच गाने करते हैं।
FAQ:
Q: लोहड़ी 2023 कब है?
Ans: 14 जनवरी ।
Q: लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
Ans: नई फसल की शुरुआत के लिए और दुल्ला भट्टी को याद करते हुए।
Q: लोहड़ी में किसकी पूजा की जाती है?
Ans: लोहड़ी माता की ।
Q: लोहड़ी कब और कहां मनाई जाती है?
Ans: लोहड़ी उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ इनसे लगे राज्यों में मनाई जाती है और यह मकर संक्रांति से 1 दिन पहले 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
Q: लोहड़ी कौन सा त्यौहार है?
Ans: पंजाब और सिखों का मुख्य त्यौहार ।
Q: लोहड़ी शुभ मुहूर्त क्या है?
Ans: इस साल लोहड़ी का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी रात 8:57 पर है।