Mystery of The Tattoo Movie Review: अभिनेत्री अमीषा पटेल की फिल्म ‘गदर 2’ बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही हैं। अमीषा की एक और फिल्म फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ भी सिनेमाघरों तक पहुंच चुकी है। कहने को ये फिल्म मर्डर मिस्ट्री है पर मिस्ट्री क्या है, किसी को नहीं पता।
हालांकि फिल्म में अमीषा पटेल और अभिनेता अर्जुन रामपाल मेहमान भूमिकाएं ही हैं लेकिन जिस तरह से उनको फिल्म के प्रचार में आगे रखा गया, उससे लगता है कि फिल्म के निर्माता उनकी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘गदर 2’ को लेकर खासे उत्साहित हैं।
फिल्म में अमीषा पटेल ने विश्वप्रसिद्ध चित्रकार चित्रा देवी की भूमिका निभाई है। और, फिल्म की कहानी उन्हीं के मर्डर से शुरू होती है।
चित्रा देवी की हत्या के बाद फिल्म की कहानी 20 साल आगे आती है। आत्मिका की भूमिका निभा रही डेजी शाह पेंटिंग सीख रही है। अचानक वह एक हत्या के मामले में फंस जाती है, जब पुलिस एक दूसरे हत्या के मामले को सुलझाने में उसकी मदद लेता है।
मारे गए व्यक्ति के हाथ पर बने टैटू की वजह से दोनों हत्याएं आपस में जुड़ी हुई लग रही हैं। आत्मिका की जान लेने की भी कोशिश की गई है, और संयोगवश जिस व्यक्ति ने उसे दो मौकों पर बचाया, उसके हाथ पर भी एक टैटू है। जितनी भी हत्याएं हो रही हैं, वह कहीं न कहीं चित्रा देवी की हत्या के केस से जुड़ी हुई हैं । इन सब हत्याओं के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है? इसी के इर्द -गिर्द फिल्म की पूरी कहानी घूमती है।
फिल्म में हो रही हत्याओं के पीछे टैटू की समानता को दिखाया गया है। जिसका फिल्म की कहानी में कोई तर्क नहीं बताया गया है। कहने को तो यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, लेकिन पूरी फिल्म देखने के बाद न तो सस्पेंस का आभास होता है और ना ही रोमांच ही पैदा होता है।
फिल्म के लेखक कलाइरसी साथप्पन ने कहानी का ऐसा ताना बाना बुना है कि फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि फिल्म सिर्फ फिल्म बनने के लिए बना दी गई है। कलाइरसी साथप्पन ने इस फिल्म का निर्देशन गणेश महादेवन के साथ मिलकर किया है। दोनों के निर्देशन में आपसी तालमेल देखने को नहीं मिलता हैं। फिल्म के दृश्य ऐसे फिल्माए गए हैं जो बहुत ही कच्चे दिखते हैं।
आमतौर बैकग्राउंड म्यूजिक ऐसी किसी फिल्म के दृश्यों को उभारने में मदद करता है लेकिन यहां इसका भी इस्तेमाल ढंग से नहीं हो सका। सब्सिडी के लालच में बनी दिखती इस फिल्म की शूटिंग लंदन में हुई है। स्थानीय कलाकारों की अंग्रेजी भी माशाअल्ला है।
हिंदी में भी ऐसे कोई संवाद नहीं हैं जिन्हें सुनकर दिल से वाह निकल जाए। अभिनव शेखर का संगीत, एल.के. विजय कुमार की सिनेमैटोग्राफी और जेरोम एलेन का संपादन सामान्य है।
फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ के जरिए अभिनेत्री डेजी शाह की पांच साल के बाद बड़े पर्दे पर वापसी हुई है। लेकिन उनके अभिनय में कुछ ताजगी देखने को नहीं मिली। रोहित राज इस फिल्म के जरिए हिंदी सिनेमा में कदम रख रहे हैं, लेकिन उनके अंदर वह उत्साह और काम के प्रति समर्पण नहीं दिखा, जो होना चाहिए।
अमीषा पटेल और अर्जुन रामपाल की फिल्म में विशेष भूमिका है, तो उनसे कुछ खास उम्मीद करना बेमानी होगी। फिर, भी उनके हिस्सा में जितना भी स्क्रीन स्पेस मिला, उसमे अच्छी कोशिश दिखी। मनोज जोशी और मायरा सरीन की परफॉर्मेंस ठीक -ठाक रही है। कुल मिलाकर अगर फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ का सबसे बड़ा और अनसुलझा रहस्य यही है कि यह फिल्म बनाई क्यों गई हैं?