Ponniyin Selvan 2 Review: भारतीय संस्कृति हमेशा से ही प्रचलित संस्कृति रही है। हिंदी भाषी क्षेत्रों में दक्षिण भारत की बात कम ही होती है। संगीत भी हिंदुस्तानी संगीत से शुरू होकर कर्नाटक संगीत तक ही जाता है। कहानियों की बात और भी सीमित रह जाती है। ऐसे में कल्कि कृष्णमूर्ति के पांच हिस्सों में लिखा गया उपन्यास ‘पोन्नियिन सेल्वन ’पर बनी एक तमिल फिल्म को दक्षिण भारत की अन्य प्रमुख भाषाओं के साथ हिंदी में भी डब करके रिलीज करना किसी भी मुश्किल परिस्थिति से कम नहीं है।
नंदिनी के प्रतिशोध की कहानी
फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन 2’ वहीं से शुरू होती है जहां नंदिनी ने चोल साम्राज्य को खत्म करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर रखा है। चोल राजा के दोनों राजकुमारों को अपने पिता के विरुद्ध हो रहे षड्यंत्र को समाप्त करने का बुलावा पिछली फिल्म में ही मिल चुका था।
बड़े राजकुमार को नंदनी से किशोरावस्था में प्रेम था। नंदिनी ने विवाह किया चोल राज्य के कोषाध्यक्ष पर्वत ईश्वर से और षड्यंत्र का ताना-बाना बुनते बनते अब वहां तक आ पहुंची जहां एक बार फिर से उसको बड़े राजकुमार से सामने होना है। फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन 2’ को देखने का असली आनंद इसी में आता है। विक्रम और ऐश्वर्या राय बच्चन इस फिल्म के दो विपरीत कड़ी हैं। इनकी कड़क जब चमक कर कहानी पर गिरती है तो इसके दूसरे सारे पात्र धूमिल होते नजर आते हैं। ऐश्वर्या का यह दूसरा रूप जो खुलकर सामने आता है और कहानी का नया हिस्सा रचने की कोशिश भी करता है।
पूरी फिल्म बनने से चूकी “PS2”
फिल्म “पन्नियसेल्वम 2” की कुछ कमजोर कड़ियां भी हैं और कुछ खूबियां भी हैं कमजोरियां फिल्म की यह है कि यह इंटरवल से पहले के हिस्से में काफी धीमी चाल से चलती है। निर्देशक मणिरत्नम की अपनी खास शैली है हमें कथा के पूर्ण अंकुरण में विश्वास रखते हैं। अब सिनेमा का समय और स्वाद दोनों बदल गए हैं। पन्नियसेल्वन एक फिल्म है जिसे रिलीज दो हिस्सों में किया गया है। यह बात खुद कहते हैं कि इस फिल्म को एक सीक्वल की तरह उन्होंने शुरू में क्यों दिखाया है। यह बात थोड़ा खटकती है।
नंदिनी के रूप में ऐश्वर्या का किरदार
मणि रत्नम की फिल्म “पन्नियसेल्वम ” के दोनों भाग सिर्फ और सिर्फ ऐश्वर्या राय बच्चन के लिए भी देखे जा सकते हैं। अपनी पहली फिल्म इरुवर से लेकर पॉलियंस तक ऐश्वर्या ने अपने अभिनय कौशल के जिस उड़ान का प्रदर्शन सुनहरे पर्दे पर अब तक किया है उसमें एक पूरा अध्याय ही मणिरत्नम के नाम का है। फिल्म पवन सलवटोरे राय का एक नया जन्म है। मणिरत्नम से मिला अभिनय का यह पुनर्जीवन ऐश्वर्या राय के आने वाले वर्षों के लिए एक नए सर्वे का काम भी कर सकता है। इस फिल्म में मणिरत्नम ने ऐश्वर्या राय बच्चन को बड़े ही सुंदर और सुशील किरदार में दिखाया है। फिल्म हम दिल दे चुके सनम की नंदिनी को भी भला कौन भूल सकता है।
फिल्म “पन्नियसेल्वम “में हिंदी भाषी दर्शकों की पहचान के गिने-चुने चेहरे हैं फिर भी विक्रम अपने रौद्र क्रोध और उद्वेग से अपनी पहचान छोड़ने में सफल रहते हैं उनका संवेग उनके अभिनय को गतिमान बनाता है। उनके सारे पेपर फिल्म के पिछले हिस्से में पहले ही दिखा चुके हैं। इस बार जिस बात में सबसे ज्यादा निराश किया है। वह है वर्षा के दृश्य ` की संख्या कम होना ।फिल्म के पहले भाग में उनका रूप में दर्शकों को मोहित करने में सफल रहा है लेकिन इस बार नंदिनी के आगे उनके चरित्र का विस्तार बहुत सीमित है।
ए आर रहमान ने फिर किया निराश
इस फ़िल्म के संगीत से भी निराशा ही मिलती है। फिल्म में रहमान ने गीतकार महबूब के साथ संगत जमाई थी। इस बार उनके साथ गुलजार हैं लेकिन मामला कम से कम इसकी हिंदी गीतों में जमा नहीं और यह इसके बावजूद रहमान ने हिंदी संस्करण के लिए पूरा एक गाना राग यमन पर नए सिरे से रचा है। फिल्म में हालांकि युद्ध के दृश्य इस बार भी हैं लेकिन उनका असर मारक नहीं है।