Ram Raksha Stotra pdf | Ram Raksha Stotra | राम रक्षा स्त्रोत्र

Ram Raksha Stotra pdf: राम रक्षा स्त्रोत बुध कौशिक वाल्मीकि ऋषि के द्वारा रचित है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि भगवान महादेव स्वयं बाल्मीकि जी के सपने में आए और उन्होंने अपने मुख से श्री राम रक्षा क्रोध सुनाया था। और जब सुबह हो गई तब ऋषि जी ने इसको कलम बद्ध किया। और इसकी रचना की।

महात्मा जी ने इस स्त्रोत को देववाणी संस्कृत में लिखा है। श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ कब करना चाहिए। इसका पाठ संकट के समय में ही नहीं अपितु सुबह शाम भी इसका पाठ किया जा सकता है। इसका पाठ करने से शुभ फल और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो कि हर परिस्थिति में हमारी सहायता करता है। इस स्त्रोत के उच्चारण से निकली ध्वनि हमारे पूरे वातावरण को पवित्र करती है और एक नई ऊर्जा का संचार करती है। Ram Raksha Stotram in hindi

Ram Raksha Stotra pdf

श्री राम रक्षा स्त्रोत की जप विधि

रामरक्षा स्तोत्र के द्वारा जीवन में बहुत सारी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। कार्य के अनुसार उसकी विधि भी अलग-अलग है। इस स्त्रोत को 11 बार अवश्य ही जपना चाहिए और ऐसी मान्यता भी है कि श्री राम रक्षा स्त्रोत का जाप 11 बार कर लिया तो इसका प्रभाव दिनभर रहता है। Ram raksha stotra lyrics

यदि आप इसका जाप लगातार 45 दिनों तक करते हैं तो इसका प्रभाव दुगना हो जाता है। नवरात्र के समय श्री राम रक्षा स्त्रोत का जाप अवश्य ही करना चाहिए। स्रोत को जपने से पूर्व शरीर और मन को शुद्ध अवश्य करें और सच्चे हृदय से भगवान राम का स्मरण अवश्य करें।

Ram Raksha Stotra pdf

Ram Raksha Stotra pdf

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम्।

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्।।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।

जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं।।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम्।

स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्।।

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।।

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति।

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः।।

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः।

स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।।

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित।

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः।।

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः।

उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः।।

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः।

पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः।।

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत।

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्।।

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः।

न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः।।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन।

नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति।।

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।

यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः।।

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत।

अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम्।।

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।

तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः।।

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।

अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः।।

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।।

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ।।

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ।

रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम।।

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।

गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।।

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः।।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः।

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।।

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः।

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः।।

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः।।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं।

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।।

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं।

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम।

श्रीराम राम शरणं भव राम राम।।

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि।

श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये।।

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने।।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज।

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्।।

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम।

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम।।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।

तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्।।

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे, रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहं, रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।।

श्री राम रक्षा स्त्रोत में भगवान श्री राम की महिमा का गुणगान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्री राम रक्षा स्त्रोत का नियमित पाठ करने से भगवान श्री राम भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं और उन्हें सभी सुख समृद्धि प्रदान करते हैं। राम रक्षा स्त्रोत एक ऐसा अमोघ कवच है जिसका कोई भी शत्रु कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता है।

Ram Raksha Stotra pdf 

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राम रक्षा स्त्रोत के लाभ

भूत प्रेत बाधा से बचने के लिए

यदि आप किसी भूत-प्रेत की बाधा से परेशान है और आप उससे बचना चाहते हैं तो इस दिव्य मंत्र श्री राम रक्षा स्त्रोत के जाप द्वारा आप उस से बच सकते हैं क्योंकि जाप द्वारा अभिमंत्रित किया हुआ जल पिए तो इसके बाद इस पवित्र जल से पीड़ित व्यक्ति को भी अभिमंत्रित करें।

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नजर दोष दूर करने के लिए

राम रक्षा स्त्रोत के द्वारा नजर दोष से भी बचा जा सकता है। इससे बचने के लिए कागज पर लाल स्याही से श्री राम रक्षा स्त्रोत को शुभ मुहूर्त में लिखें।श्री राम रक्षा स्त्रोत के चमत्कार देखें। इसके बाद इस कागज को इस दिव्य मंत्र से अभिमंत्रित करें और धूप दीप से आरती करके इसे ताबीज में पहन लें।

वाहन दुर्घटना से बचने के लिए

यदि आप किसी वाहन दुर्घटना की घटना से चिंतित रहते हैं तो इस मंत्र को कागज पर लाल स्याही से लिखकर इसके बाद इसे ताबीज में भरकर गाड़ी पर बांध दें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से वाहन दुर्घटना से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी।

घर में कलह को दूर करें

यदि आपके घर में आए दिन कोई ना कोई कलह होता रहता है तो आप पूर्णिमा के दिन श्री राम रक्षा स्त्रोत के 11 बार पाठ करने से अभिमंत्रित जल को अपने पूरे घर में छिड़क दें। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होगा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा । घर में कोई भी क्लेश नहीं होगा।

FAQ:

Q: श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने का क्या महत्व है?

Ans: श्री राम रक्षा स्त्रोत के पाठ से जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है मनुष्य भय रहित दीर्घायु सुखी और खुशहाल जीवन का पात्र होता है।

Q: श्री राम रक्षा स्त्रोत किसने लिखा है?

Q: श्री राम रक्षा स्त्रोत की रचना बुद्ध कौशिक ऋषि ने की है।

Q: श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ किस विधि से करना चाहिए?

Ans: रामरक्षा स्तोत्र के द्वारा जीवन में बहुत सारी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। कार्य के अनुसार उसकी विधि भी अलग-अलग है। इस स्त्रोत को 11 बार अवश्य ही जपना चाहिए और ऐसी मान्यता भी है कि श्री राम रक्षा स्त्रोत का जाप 11 बार कर लिया तो इसका प्रभाव दिनभर रहता है।

 

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