Mission Majnu Review: इस मजनू का मिशन रोमांचित नहीं करता

Mission Majnu Review: मिशन मजनू नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है। यह स्पाई थ्रिलर फिल्म है। मिशन मजनू की कहानी पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के प्लान को नेस्तनाबूद करने पर आधारित है।

18 मई 1974 को राजस्थान के पोकरण में भारत ने पहला सफल परमाणु परीक्षण किया। इस ऑपरेशन का कोड नेम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया। ऐसे में भारत से तीन लड़ाइयां हारने के बाद भी पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से परमाणु बम बनाने का फैसला कर लिया।

भारत के जवानों ने पाकिस्तान के मंसूबों को विफल कर दिया है। ऐसे में यह फिल्म एक बहादुर जासूस मजनू को समर्पित है।

पिता की गद्दारी का दाग साथ लेकर चलने वाला जासूस

कहानी की शुरुआत 1974 में रावलपिंडी में बसे तारिक उर्फ अमनदीप (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के परिचय के साथ शुरू होता है जो कि एक रो एजेंट है। उसके पिता ने गद्दारी के आरोप चलते आत्महत्या कर ली थी।

यह दर्द उसे हमेशा सताता रहता है। तारिक उर्फ अमनदीप को रॉ चीफ आर ऐन कोव का का पूरा समर्थन मिलता है। आर ऐन कोव परमीत सेठी है।

Mission Majnu Review

जाकिर हुसैन तारिक के  पिता की गद्दारी की वजह से मजनू जासूस पर यकीन नहीं करता है। तारीख को नेत्रहीन नसरीन जोकि रश्मिका मंदाना है से मोहब्बत हो जाती है। उधर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में परमाणु परीक्षण की खबर से पाकिस्तान बौखला जाता है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भुट्टो जोकि  रजत कपूर हैं गुपचुप और गैरकानूनी तरीके से परमाणु बम बनाने का निर्णय लेते हैं। लीबिया का तानाशाह गद्दाफी इसमें पाकिस्तान का साथ देता है।

पाकिस्तान अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब था। उसी दौरान वहां पर तख्तापलट हो जाता है।

पाकिस्तान की कमान सेना प्रमुख जिया उल हक के हाथों में आ जाती है। कॉव को यूरोप से खबर मिलती है कि पाकिस्तान परमाणु बम बनाने की तैयारी में है।

तारिक से सूचना जुटाने को कहा जाता है। इधर भारत में भी इमरजेंसी लागू हो जाती है और सत्ता परिवर्तन हो जाता है।

रॉ को अपना मिशन बंद करने के लिए कहा जाता है। पाकिस्तान में परमाणु बम बनाने की खबर को पुख्ता करने में तारिक  को रॉ  के दो अन्य सहयोगी मौलवी साहब और असलम उस्मानिया का साथ मिलता है।

मिशन मजनू का विषय नया नहीं है

हिंदी सिनेमा में देश के गुमनाम हीरो पर इससे पहले आलिया भट्ट अभिनीत राजी, जॉन इब्राहिम अभिनीत रोमियो, अकबर वाल्टर अक्षय कुमार अभिनेता बेलबॉटम जैसी फिल्में रिलीज हुई।

इस कड़ी में पाकिस्तान में परमाणु बम बनाने के मंसूबों को नाकाम करने की कहानी देशवासियों को खुश तो करती हैं पर वह दौर अलग था। जब तकनीक नहीं थी दोनों देशों के बीच संवाद का जरिया टेलीफोन था।

सीमित संसाधनों के बावजूद देश के जांबाज जासूसों ने पड़ोसी देश के दोहरे चरित्र को उजागर किया है

जासूसी थ्रिलर फिल्मों में कहानी में रोमांच बनाए रखने के लिए सांस थामने वाले प्रसंग बेहद आवश्यक होते हैं।

परवेज शेख असीम अरोड़ा सुमित भटेजा द्वारा लिखित पटकथा में कहानी की कमी साफ दिखाई देती है। शुरुआत में तारिक और नसरीन की मुलाकात भी बेहद फिल्मी लगती है।

Mission Majnu Review

तारिक के पिता को गद्दार बताया गया है लेकिन तारीख उन्हें भी बेगुना साबित करने के बारे में नहीं सोचता है।

यह अमिताभ बच्चन की फिल्म से कॉपी जैसा लगता है कि जिसमें कहा गया था कि मेरा बाप चोर है। और एक एंग्री यंग मैन की भूमिका निभाने को कहा जाता है पर यह थोड़ा अखरता है।

तारिक के लिए सब कुछ बेहद आसान दिखाया गया है। खासतौर पर जब परमाणु संयंत्र के पास तारीख और असलम पकड़े जाते हैं तो आपकी सांसे थमती नहीं है क्लाइमेक्स में मजा जरूर आता है।

यह फिल्म देखते हुए देश प्रेम की भावना में उबाल भी नहीं आता है। फिल्म के संवाद भी दमदार नहीं बन पाए हैं। उस कालखंड को बताने के लिए धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, और शोले के संवादों का प्रयोग किया गया है।

वह बहुत रोचक नहीं बन पाया है। कहानी की विश्वसनीयता के लिए शुरुआत में इंदिरा गांधी और जिया उल हक़ की असल क्लिपिंग जोड़ी गई है।

सिद्धार्थ “मासूम” और रश्मि  सुंदर

कारगिल युद्ध के नायक विक्रम बत्रा की भूमिका को अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने साल 2020 में रिलीज फिल्म शेरशाह में निभाया था।

इस पर पाकिस्तान में गैरकानूनी तरीके से बने परमाणु संयंत्र को नाकाम करने के मिशन पर अंडरकवर तारीख के किरदार में वह जचते हैं।

उनके चेहरे पर मासूमियत झलकती है आखिर में एयरपोर्ट में उनका घबराता हाथ रोंगटे खड़े करता है।

रश्मिका मंदाना सुंदर लगी है लेकिन उनके हिस्से में कोई दमदार डायलॉग और सीन नहीं आया है।

जाकिर हुसैन का काम उल्लेखनीय है जिया उल हक की भूमिका में अश्वत भट्ट प्रभावित करते हैं।काव  की भूमिका में परमीत सेठी में ठहराव नजर आता है।

फिल्म का गाना रब्बा जांदा कानों को अच्छा लगता है। यह कहानी को आगे बढ़ाता है।

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