[2023] Sawan Putrada Ekadashi Kab Hai | सावन पुत्रदा एकादशी कब है

Sawan Putrada Ekadashi Kab Hai: सनातन धर्म में हर महीने की एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित व्रत है। श्रावण माह में आने वाली एकादशी का महत्व अलग ही होता है। हिंदू पंचांग की मान्यता के अनुसार साल में पुत्रदा एकादशी का व्रत दो बार आता है।

पहली पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदी महीना के पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। अगर अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो यह दिसंबर या जनवरी में आती है।

वहीं दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Sawan Putrada Ekadashi Kab Hai

संतानहीन लोगों के लिए यह व्रत अत्यंत ही शुभ फलदाई माना जाता है यदि किसी को संतान का कष्ट है तो इस व्रत करने से उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

कब है सावन पुत्रदा एकादशी 2023 Sawan Putrada Ekadashi Kab Hai

साल 2023 के सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 26 अगस्त की देर रात 12:08 से प्रारंभ हो रही है जबकि इस तिथि की समाप्ति 27 अगस्त की रात 9:32 पर समाप्त होगी। हालांकि उदय तिथि दो होने के कारण सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त रविवार को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा करने से पूरे ही परिवार को शुभ लाभ होता है और इस व्रत करने का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह से प्रारंभ हो जाएगा।

इस दिन सर्व सिद्धि योग सुबह 5:56 से शुरू होकर 7:16 तक रहेगा माना जा रहा है कि इस दौरान पूजा करने से भक्तों को उनका मन माफिक शुभ फल की प्राप्ति होगी।

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Sawan Putrada Ekadashi Vrat Katha)

पुरानी धर्म ग्रंथो के आधार पर द्वापर युग में  एक राज्य था। उस राज्य का राजा महाजीत था। राजा महाजीत धन, ऐश्वर्य संपत्ति से फला फूला था। लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था जिस कारण वह हमेशा ही चिंतित रहता था।

राजा ने पुत्र प्राप्ति करने के सभी उपाय कर लिए थे जो कि उसके राज्य के ब्राह्मणों ने उसे बताए थे किंतु उसका हर उपाय नाकाम रहा। राजा महाजीत वृद्धावस्था की ओर दिन पर दिन बढ़ते जा रहे थे।

राजा अपनी प्रजा के साथ सभी प्राणियों का अच्छी प्रकार से ध्यान रखते थे जिससे प्रजा की भी चिंता लगातार बढ़ रही थी।

राजा जितना भी धर्म कर्म करते फिर भी वह संतानहीन क्यों है इस बात को लेकर उनके मन में सदा ही चिंता बनी रहती है।

राजा को मिला पाप का दंड

एक दिन राजा अपने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों सन्यासियों और विद्वानों को बुलाकर संतान प्राप्ति के उपाय पूछने लगा।

राजा की बात सुनकर वहां बैठे सभी ने कहा राजा तुमने अपने पिछले जन्म में एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था जिसकी वजह से गाय ने तुम्हें संतान ना होने का श्राप दिया था। इसी कारण तुम संतान सुख से वंचित हो।

संतान प्राप्ति के लिए किया गया सावन पुत्रदा एकादशी व्रत (Putrada Ekadashi Vrat Katha)

ऋषियों ने राजा से कहा कि अगर राजा सावन माह के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का व्रत और रात्रि भजन करते हैं तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होगी।

घर में बहुत जल्दी ही बच्चे की किलकारियां गूंजेगी। साथ ही राजा के सभी कष्टों का नाश भी हो जाएगा। राजा ने सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत पूजन विधि अनुसार किया है। इस संकल्प के प्रभाव से रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। यह पुत्र अत्यंत ही तेजस्वी और बहादुर था।

सावन पुत्रदा एकादशी 2023 व्रत पारण समय

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण 28 अगस्त 2023 को सुबह 5:57 से सुबह 8:31 तक किया जाएगा। द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय 28 अगस्त शाम 6:22 है।

 Sawan Putrada Ekadashi Kab Hai

सावन पुत्रदा एकादशी पूजा की सामग्री

पूजा की सामग्री में पान, लोंग, सुपारी, कपूर, पीला, चंदन, पानी से भरा नारियल, पंचमेवा, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, मिष्ठान, मौली इत्यादि अवश्य रखें। चीजों के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

इनके साथ ही भगवान विष्णु का पीला रंग बहुत ही प्रिय है। इसलिए एकादशी व्रत के दिन पूजा सामग्री में पीले फूल, पीला, वस्त्र, पीला, फल, कलर्स और आम के पत्ते जरूर रखें। क्योंकि यह पूजा भगवान विष्णु को समर्पित पूजा है।

पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा विधि

यदि आप सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं तो एकादशी से एक दिन पहले दशमी को ही भोजन के बाद अच्छी तरह से अपने दांतों को साफ कर लें जिससे अन्न  का एक कण भी आपके मुंह में नहीं रहे। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प कर ध्यान करें।

फिर धूप दीप नैवेद्य और 16 सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करें और रात को दीप दान करना चाहिए।

इसके साथ ही एकादशी को सारी रात भगवान विष्णु का भजन कीर्तन करना चाहिए। श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल के लिए माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद अगली सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की फिर से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गाय को अन्न दान करें।

FAQ:

Q: पुत्रदा एकादशी कौन कर सकता है?

Ans: पुत्रदा एकादशी का व्रत पति पत्नी दोनों कर सकते है।

Q: पुत्रदा एकादशी कब है?

Ans: 27 अगस्त को सुबह से प्रारंभ हो जाएगा

Q: पुत्रदा एकादशी मुहूर्त कब है?

Ans:  इस व्रत करने का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह से प्रारंभ हो जाएगा इस दिन सर्व सिद्धि योग सुबह 5:56 से शुरू होकर 7:16 तक रहेगा माना जा रहा है कि इस दौरान पूजा करने से भक्तों को उनका मन माफिक शुभ फल की प्राप्ति होगी।

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