Schizophrenia: सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है। जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो जाता है वह वास्तविकता से परे होता है और अपनी बात नहीं रख पाता है और उसे अपने बात रखने में परेशानी होती है। वह दबा कुचला सा रहता है। उस व्यक्ति को सामने वाले से डर लगता है।
वह सामने वाले को अधिक महत्व देता है। ऐसे व्यक्ति को सामाजिक और व्यवसायिक दोनों ही स्थानों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी के कारण रोगी भूल जाता है कि वह दुनिया में कुछ कर सकता है उसका आत्मविश्वास बिल्कुल खत्म हो जाता है।
वह कल्पनाओं की दुनिया में ही सब कुछ करता है और कल्पनाओं की दुनिया में ही रहता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति बिना सोचे समझे कुछ भी कहने और भ्र्म जैसी दुविधा में पड़ा रहता है। यह रोग जिस व्यक्ति को होता है उसे अपनी पूरी उम्र इस रोग के परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
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अगर वह व्यक्ति चिकित्सक से संपर्क करता है तो इस रोग में कमी आ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में 20 लाख से भी अधिक लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति मैं आत्महत्या की भावना अक्सर पैदा होती है। वर्तमान में बहुत से लोग इस बीमारी की इस स्थिति से पीड़ित हैं।
सिजोफ्रेनिया गंभीर मानसिक बीमारी है जिसमें कुछ व्यक्तियों को निरंतर अंतराल पर दौड़े पढ़ सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को बेहतर जीवन जीने के लिए विभिन्न मनोवैज्ञानिक सामाजिक नीतियों का उपयोग करते है ।
पारिवारिक प्यार और थेरेपी और उपचार से लोगों के व्यवहार में बहुत सुधार दिखाई दे सकता है और रोगी भी अच्छा जीवन जी सकते हैं।
हमारे समाज में सिजोफ्रेनिया से संबंधित बहुत सारी गलत धारणाएं मौजूद है। सिजोफ्रेनिया का मतलब यह नहीं है कि आपकी स्प्लिट पर्सनैलिटी है या फिर आपको मल्टीपल पर्सनैलिटी की बीमारी है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति ना तो खतरनाक खतरनाक होते हैं और ना ही हिंसक होते हैं। वह भी आम आदमियों के जैसे ही होते हैं लेकिन वह दबे दबे अपने में खोए खोए रहते हैं उन लोगों को गुस्सा कम आता है।
ऐसे लोगों पर अगर कोई चिल्लाता है तो उनको डर बहुत जल्दी लग जाता है ऐसे लोग अक्सर सामाजिक बुरे बर्ताव का शिकार होते रहते हैं। सही उपचार और सही देखभाल इस रोग को कम कर सकती है।
सिजोफ्रेनिया के प्रकार (What are the types of Schizophrenia)
पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया (Paranoid Schizophrenia)
पैरानॉइड सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति को संदेह, कोई काम का जुनून या भ्रम की सी स्थिति बहुत अधिक होती हैं। ऐसी स्थिति में वह बड़े जुनून के साथ वैसा ही करने लगता है जैसा उसे सही लगता है।
इस स्थिति से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार अजीब तरीके का सा हो सकता है उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया भी ठीक नहीं होती हैं और रोगी का सामान्य जीवन से जुड़ाव बहुत कम होता है।
मान लीजिए वह जोर-जोर से किताब पढ़ रहा है तो वह जोर-जोर से किताब पड़ेगा और जब कोई उसे मना करेगा तो वह उसका कारण बताएगा कि मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूं।
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कैटाटोनिक सिजोफ्रेनिया (Catatonic Schizophrenia)
कैटाटोनिक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत ही आलसी जैसा हो जाता है। वह शारीरिक और भावनात्मक रूप से भी आलसी ही हो जाता है।
उस व्यक्ति के चेहरे पर से तेज बिल्कुल गायब हो जाता है। उम्र का प्रभाव भी उसके चेहरे पर जल्दी आ जाता है।लेकिन उसे ऐसा लगता है जैसे वह अभी बच्चा है।
उदाहरण के तौर पर देखें तो वे लंबे समय तक जी नहीं पाता है उसमें खाने-पीने की भावना बिल्कुल भी नहीं रहती है। वह कई कई घंटों तक ऐसा ही पड़ा रहता है।
अपरिभाषित सिजोफ्रेनिया (Undefined Schizophrenia)
अपरिभाषित शिजोफ्रेनिया में व्यक्ति में कई प्रकार के ऐसे लक्षण आ जाते हैं जो कि अन्य सिजोफ्रेनिया के प्रकारों में लक्षण आते हैं।
हेबेफ्रेनिक सिजोफ्रेनिया (Hebephrenic Schizophrenia)
इस प्रकार के शिजोफ्रेनिया में रोगी के अंदर भावनात्मक परिवर्तन भ्रम और व्यवहार में बदलाव गैर जिम्मेदार और अप्रत्याशित व्यवहार जैसे लक्षण बिल्कुल सामान्य होते हैं।
इन रोगियों का मन हमेशा उदास रहता है। वह खुशी को महसूस नहीं कर पाते हैं। मान लीजिए कि अगर उन्हें इस समय कुबेर का खजाना भी मिल गया है तो वह खजाने से खुश नहीं होंगे बल्कि वह यह सोचेंगे कि कल यह कुबेर का खजाना मुझसे खत्म हो जाएगा तब मेरा क्या होगा।
ऐसे रोगी कभी-कभी मुस्कुराहट, शरारत और अपनी बोली गई बातों को बार-बार दोहराते हैं। उनके चेहरे पर भी दुख दिखता है।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण (Schizophrenia Symptoms)
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार के लक्षण हो सकते हैं और यह लक्षण खुद ब खुद चले भी जाते हैं या यह लक्षण पूरे जीवन काल में दिखाई दे सकते हैं या दो तीन बार ही आ सकते हैं। इस रोग की शुरुआत में लक्षण अचानक गंभीर भी हो सकते हैं।
यह लक्षण उसके दैनिक जीवन में दिखाई दे सकते हैं। यह लक्षण सामान्य गतिविधियों के दौरान काम करने खाना खाने या आसपास घूमते वक्त भी दिखाई दे सकते हैं। कुछ गंभीर मामलों में काम करने जैसी गतिविधियां भी सीमित दिखाई दे सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया के कारण और जोखिम कारक (Schizophrenia Causes)
सिजोफ्रेनिया के कारण
सिजोफ्रेनिया का कोई एक कारण नहीं है ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थिति के पीछे एक तो अनुवांशिक गुण हैं और दूसरा उसकी आसपास के वातावरण को भी इसका जिम्मेदार माना जा सकता है।
सिजोफ्रेनिया के पीछे मुख्य कारण तो अनुवांशिक ही होता है। इस स्थिति के लिए मानसिक बीमारी से पीड़ित रोगी के माता पिता से पीड़ित उनकी संतान भी पीड़ित हो सकती है अन्य न्यूरोलॉजिकल कारण भी हो सकते हैं। सिजोफ्रेनिया की शुरुआत और रिकवरी में मनोवैज्ञानिक और परिवार का माहौल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
जोखिम कारक
पूरे जीवन काल में सिजोफ्रेनिया जैसी समस्या होने की संभावना केवल 1% ही होती है।100 में से एक व्यक्ति को ही अपने जीवन काल में सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
यह स्थिति पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से देखी जा सकती है। पुरुषों में यह रोग आमतौर पर 10 से 25 वर्ष की आयु के बीच में पाया जाता है जबकि महिलाओं में 25 से 35 वर्ष की आयु के बीच में देखने को मिलता है।
यदि कोई व्यक्ति अधिक नशीले पदार्थों का सेवन करता है तो यह रोग उसमें होने की संभावना कई गुना बढ़ सकती है।
सिजोफ्रेनिया की रोकथाम (Prevention of Schizophrenia)
सिजोफ्रेनिया जैसी स्थिति को पूरी तरीके से ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके प्रभावों को कम अवश्य किया जा सकता है।
तनाव और नशे का प्रयोग सिजोफ्रेनिया को बढ़ा सकता है इसलिए तनाव से बचना चाहिए और नशे को ना के बराबर ही करना चाहिए या करना ही नहीं चाहिए। रोग की शुरुआती पता लगने पर इसका उचित समाधान किया जा सकता है।
सिजोफ्रेनिया का निदान (Schizophrenia Diagnosis)
सिजोफ्रेनिया का पता लगाने के लिए कोई टेस्ट नहीं है। सिजोफ्रेनिया का पता रोगी की केस हिस्ट्री और मानसिक स्थिति को देखकर ही पता लगाया जा सकता है।
इस रोग का पता लगने के बाद फुल मेडिकल हिस्ट्री का मूल्यांकन किया जाता है। फिजिकल टेस्ट किए जाते हैं। मरीज के लक्षणों का पता लगाकर लैब टेस्ट की जाते हैं
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रोग का पता लगाने के लिए मापदंड
- स्कूल,दोस्तों में अन्य लोगों से संबंधित समस्या या खुद की देखभाल करने में
- कम से कम 1 महीने तक सक्रिय लक्षणों के साथ बीते 6 महीने से सिजोफ्रेनिया के लक्षण दिखाई देना
- मानसिक स्वास्थ्य विकार ही कारण का लक्षण बनता है।
सिजोफ्रेनिया का इलाज (Schizophrenia Treatment)
रोगी के इस रोग की शुरुआत में ही पहचान और कंट्रोल किया जाए तो इस रोग का उपचार हो सकता है। दवाओं के साथ सामाजिक और पारिवारिक सपोर्ट भी इस उपचार में बहुत लाभदायक साबित होता है।
इस रोग से पीड़ित मरीज को मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में भेजने से भी इस रोग के ठीक होने में मदद मिलती है। परिवार के सदस्यों का सपोर्ट भी इस रोग को बढ़ने से रोकने में बहुत उपयोगी साबित होता है।
सिजोफ्रेनिया के लिए दी जाने वाली दवाएं बुरे सपने, भ्रम, सनक, भ्रमित सोच ऐसे लक्षणों को कम करने में तो सहायता करती ही हैं इसके साथ-साथ सिजोफ्रेनिया के लिए फार्माकोथेरेपी का विकास काफी वर्ष पहले ही हो चुका है।
यह दवाइयां मनोचिकित्सक के साथ-साथ प्रेरणा अभिव्यक्ति कमी सामाजिक जुड़ाव में कमी जैसे लक्षणों का इलाज करने में भी लाभदायक साबित होती है।
यह दबाए तनाव को कंट्रोल करने कम्युनिकेशन को बेहतर बनाने के साथ-साथ जीवन कौशल को बेहतर बनाने में भी कारगर साबित होती है।
कभी-कभी यह थेरेपी, तनाव,लक्षण वाली समूह को आपस में जोड़कर भी मदद करती हैं।
जीवन शैली में बदलाव के द्वारा सिजोफ्रेनिया में मदद मिलती है
सामाजिक सपोर्ट (Social Support)
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को तनाव की कमी के लिए उसे परिवार के लोगों का सपोर्ट मिलना अति आवश्यक है।
उस व्यक्ति को अपने दैनिक कार्यों को जारी रखते हुए दूसरों के साथ जुड़े रहना भी लाभदायक होता है। ऐसे लोगों को दूसरों के साथ समय बिताने से भी फायदा मिलता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग जुड़े रहने से अपने बारे में अच्छा महसूस करते हैं।
तनाव को कम करें (Reduce Stress)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को तनाव में कम से कम रहना चाहिए। तनाव कम करने के लिए रिलैक्सेशन प्रैक्टिस भी काफी मददगार साबित होती है।
नियमित व्यायाम करें (Daily Exercise)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को नियमित एक्सरसाइज और ध्यान अवश्य करना चाहिए जिससे रोगी को शांत महसूस हो और चलने, दौड़ने, डांस करने जैसी गतिविधियां जरूर करनी चाहिए। नियमित व्यायाम का समय 30 मिनट से अधिक होना चाहिए। Schizophrenia
भरपूर नींद ले (Adequate Sleep)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को चिंता मुक्त रहते हुए भरपूर नींद लेनी चाहिए। रोगी को 8 घंटे से अधिक नींद की सलाह दी जाती है।
नशे से बचें (Avoid Alcohol)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए अगर वह किसी प्रकार का नशा करता है तो उसे दवाई देते समय दवाइयों का असर कम होगा।
स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं (Healthy Food)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को omega-3 फैटी एसिड वाले खाने को अधिक खाना चाहिए। कुछ अंतराल पर भोजन और पौष्टिक पदार्थों की डाइट में शामिल करना चाहिए जिससे रोगी को पर्याप्त पोषण कर सके।
रोग का निदान और जटिलताएं
सिजोफ्रेनिया एक ऐसा रोग है जो कि पूरे जीवन काल तक भी रह सकता है। आज के समय में इस रोग का कोई सटीक इलाज नहीं है फिर भी इस रोग के लक्षणों के अनुसार इसका इलाज किया जाता है और इसके लक्षणों में कमी जरूर आ जाती है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग दूसरे लोगों की तरह ही स्वस्थ दिखाई देते हैं लेकिन उनके मन का किसी को पता नहीं होता है। वह भी स्कूल जाते हैं और काम कर सकते हैं। आम लोगों की तरह ही हेल्थी जीवन जी सकते हैं। अगर उन्हें चिकित्सा और दूसरे लोगों की सहायता मिले तो वह भी अच्छा जीवन यापन कर सकते हैं।
जटिलताएं
- इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की सोच तर्क और याददाश्त में कमी आती है।
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति आत्महत्या के बारे में सोचता है।
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति तनाव में रहता है।
- इस रोग से पीड़ित व्यक्ति काम करने में असमर्थता से आर्थिक रूप से परेशान रहता है।
- ऐसे पीड़ित व्यक्ति के रिश्ते नाते सब खत्म से हो जाते हैं।
- ऐसा पीड़ित व्यक्ति एकांत में रहना पसंद करता है।
- इससे पीड़ित व्यक्ति बहुत दुखी रहता है। लोग उसकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति का आक्रामक व्यवहार हो जाता है।
FAQs
Q: सिजोफ्रेनिया क्या है?
Ans: सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है। जो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो जाता है वह वास्तविकता से परे होता है और अपनी बात नहीं रख पाता है और उसे अपने बात रखने में परेशानी होती है।
वह दबा कुचला सा रहता है। उस व्यक्ति को सामने वाले से डर लगता है। वह सामने वाले को अधिक महत्व देता है। ऐसे व्यक्ति को सामाजिक और व्यवसायिक दोनों ही स्थानों पर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
Q: सिजोफ्रेनिया रोग कैसे ठीक होता है?
Ans: सिजोफ्रेनिया रोग पूरी तरीके से ठीक नहीं होता है। चिकित्सक के इलाज से इसके प्रभाव कम कर सकते है।
Q: सिजोफ्रेनिया का घरेलू इलाज क्या है?
Ans: योग और ध्यान से इसका घरेलू इलाज हो सकता है। हमारे ऋषि मुनि सदियों से योग ध्यान करते आ रहे है। मानसिक रोग का इलाज ध्यान से संभव है।
Q: सिजोफ्रेनिया के प्रकार क्या है?
Ans: सिजोफ्रेनिया के चार प्रकार है।
Q: सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या है?
Ans: सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार के लक्षण हो सकते हैं और यह लक्षण खुद ब खुद चले भी जाते हैं या यह लक्षण पूरे जीवन काल में दिखाई दे सकते हैं या दो तीन बार ही आ सकते हैं। इस रोग की शुरुआत में लक्षण अचानक गंभीर भी हो सकते हैं।
Q: सिजोफ्रेनिया क्या लाइलाज है?
Ans: सिजोफ्रेनिया का इलाज संभव है यह लाइलाज नहीं है।
Q: सिजोफ्रेनिया के क्या कारण है?
Ans: सिजोफ्रेनिया का कोई एक कारण नहीं है ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थिति के पीछे एक तो अनुवांशिक गुण हैं और दूसरा उसकी आसपास के वातावरण को भी इसका जिम्मेदार माना जा सकता है। सिजोफ्रेनिया के पीछे मुख्य कारण तो अनुवांशिक होता है।