Scrub Typhus: कॉमा से लेकर ऑर्गन फैलियर तक का खतरा

Scrub Typhus: देश के कई राज्यों में स्क्रब टायफस बीमारी के मामले दिन पर दिन सामने आते जा रहे हैं जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने काफी चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के करीब तीन जिलों और उड़ीसा में रोगियों की संख्या बड़ी है। महाराष्ट्र में 20 से अधिक नए संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है जिसके साथ अब राज्य में कुल रोगियों की संख्या 307 से ऊपर हो गई है। वहीं उड़ीसा में पिछले 24 घंटे में 9 और लोगों में संक्रमण का पता चला है। कुल मिलाकर राज्य में रोगियों की संख्या 230 से अधिक पहुंच गई है। महाराष्ट्र और उड़ीसा के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड राजस्थान में भी स्क्रब टायफस के जोखिमों को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो स्क्रब टायफस जानलेवा भी हो सकता है। इस बीमारी के संक्रमण के शिकार जिन लोगों का समय से उपचार हो जाता है। उनमें करीब 6 फ़ीसदी लोगों की मौत हो जाती है और सभी लोगों को इस बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट किया गया है।

स्क्रब टायफस क्या है?

स्क्रब टायफस को बस टायफस भी कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। मुख्य रूप से यह रोग संक्रमित लार्वा के काटने से इंसानों में फैला है। संक्रमित व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द और कभी-कभी शरीर पर दाने निकलने की समस्या भी हो जाती है। बीमारी का अगर समय पर उपचार न किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पढ़ सकते हैं। इस रोग के ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों में होते हैं जहां पर लार्वा के संपर्क में आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

लक्षण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो लक्षण आमतौर पर संक्रमित लार्वा के काटने के 10 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाते हैं। इसमें शुरुआत में बुखार और ठंड लगना, सिर दर्द, शरीर और मांसपेशियों में दर्द के साथ लार्वा के काटने की जगह पर पस  या पापड़ी पड़, दाने होने की समस्या देखी जा रही है।

स्क्रब टायफस का अगर समय पर उपचार न किया जाए तो इसके कारण कई प्रकार की गंभीर समस्याओं जैसे मानसिक स्थिति की समस्या जिसमें मति भ्रम से लेकर कॉमा  तक की दिक्कत हो सकती है। गंभीर बीमारी वाले लोगों में ऑर्गन फैलियर और आंतरिक रक्त बहाव  भी हो सकता है जिसे घटक लक्षणों वाली समस्या मानी जाती है।

Scrub Typhus

स्क्रब टायफस का प्राइमरी इलाज कैसे किया जाए

जिन लोगों में इस रोग  की पुष्टि हो जाती है उनमें रोग की गंभीरता को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाई दी जाती हैं। इसके अलावा लक्षणों को ध्यान में रखते हुए उपचार के लिए और भी आवश्यक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। डॉक्टर का उद्देश्य रोग की गंभीरता को कम करना और कौमा जैसी समस्याओं से रोगी को बचाना होता है।

बचाव

स्क्रब टायफस से बचाव के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है। संक्रमित लार्वा के संपर्क से बचकर स्क्रब ने का खतरा कम हो सकता है उन क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें जहां स्क्रब टायफस के मामले ज्यादा देखे गए हैं। वनस्पति और झाड़ियां वाले क्षेत्रों में यह लार्वा पाए जाते। जिससे आपने रोग का खतरा बढ़ जाता है

 

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