Sunderkand PDF Download: सुंदरकांड का पाठ करने से हनुमान जी बहुत खुश होते हैं और आपके मन को शांत और चित्त को एक एकाग्र करते हैं। नियमित सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन से कष्टों को हर लेते हैं। सुंदरकांड हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करें।
Sunderkand PDF Download in Hindi
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सुंदरकांड का पाठ हमें प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को अवश्य करना चाहिए। इसका पाठ अगर आप अकेले में करें या अपने समूह के साथ करें तो बड़ा आनंद कारी होता है।
सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से हमारे जीवन से परेशानियों का नाश होता है। धन वैभव और संपत्ति का आगमन होता है।
सुंदरकांड पाठ करने के नियम
- आप स्वयं सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो सुबह 4:00 से 6:00 के बीच सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं।
- आप यदि अपने समूह के साथ सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो शाम को 7:00 बजे के बाद भी आप सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं।
- सुंदरकांड का पाठ मंगलवार शनिवार पूर्णिमा और अमावस्या को करना हितकारी और कल्याणकारी माना जाता है।
- सुंदरकांड का पाठ करने के लिए स्वच्छ जगह पर चौकी रखकर इस को साफ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।
- सुंदरकांड की पुस्तक पवित्र पुस्तक है इसको कभी भी जमीन पर या अपने पैरों के पास नहीं रखना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ आप अपने मंदिर में कर सकते हैं।
- पाठ की शुरुआत करने से पहले आपको हनुमान जी का तेजी से जयकारा लगाना होता है।
सुंदरकांड पाठ करने के लाभ
सुंदरकांड भगवान हनुमान जी की बल बुद्धि वीरता और भक्ति का अनूठा संग्रह है। सुंदरकांड पाठ रामायण का एक महत्वपूर्ण हनुमान जी को समर्पित अध्याय है।
इस अध्याय में यह बताया गया है कि हनुमान जी सागर पार कर लंका पहुंचकर सीता माता की खोज करते हैं और उन्हें सुरक्षित तरीके से ढूंढ लेते हैं। सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार आपके पूरे मन और मस्तिष्क में होता है।
सुंदरकांड पाठ करने से भक्तों के मन को शांति तो मिलती ही है इसके साथ संकटों से भी मुक्ति मिलती है क्योंकि हनुमान जी का एक नाम संकटमोचन भी है।
सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास की बढ़ोतरी होती है और वह यह समझता है कि समय के साथ वह अपनी शक्तियों को भूल जाता है और वह ईश्वर पर आश्रित रहकर उन शक्तियों को फिर से प्राप्त कर सकता है और उन शक्तियों से हर कठिनाई का सामना कर सकता है।
सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति के पास आर्थिक समृद्धि भी बढ़ती है। इसके साथ साथ सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन को भगवान के प्रति समर्पित होने में सरलता होती है।
सुंदरकांड पाठ के विभिन्न चरणों में हनुमान जी की लंका यात्रा का वर्णन मिलता है। इस पाठ में भी समुद्र को किस प्रकार पार करते है और लंका में रावण के दरबार में जाते हैं और विभीषण से मिलते हैं और उन्हें राम की शरण में लाते हैं।
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