The Song Of Scorpions Review: इरफान खान के निधन के बाद रिलीज हुई आखिरी फिल्म

The Song Of Scorpions Review: इरफान खान की मृत्यु लंबी बीमारी के चलते 2020 में हो गई थी। उनकी मृत्यु के 3 साल बाद तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन फिल्म रिलीज हुई है जो कि कुछ साल पुरानी फिल्म है लेकिन किन्ही कारणों के चलते इस को रिलीज नहीं किया जा सका था।

ऐसा माना जाता है कि कलाकार की कभी मृत्यु नहीं होती है। वह अपनी कला के माध्यम से लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहता है। आज से 3 साल पहले 29 अप्रैल 2020 को महान अभिनेता इरफान खान का मुंबई में एक बीमारी के चलते निधन हो गया था।

उनकी तीसरी पुण्यतिथि के मौके पर उनकी आखरी रिलीज फिल्म द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन को शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। इस फिल्म का प्रीमियर 5 साल पहले लोकानो फिल्म फेस्टिवल में किया गया था। मगर फिल्म के लिए कोई डिस्ट्रीब्यूटर ना मिलने के कारण भारत में यह फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थी।

फिल्म की कहानी पुरानी मान्यता पर आधारित

राजस्थान के जैसलमेर की थार भूमि की पृष्ठभूमि पर रची गई फिल्म की कहानी लोककथा से प्रेरित है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार बिच्छू का डंक 24 घंटे से भी कम समय में इंसान की मृत्यु का कारण हो सकता है।

The Song Of Scorpions

या यूं कहें कि बिच्छू के काटने से व्यक्ति 24 घंटे के अंदर मर जाता है उसके जीवित रहने का बस एकमात्र उपाय है कि उसका इलाज करने वाला खास गाना गाया जाए । बिच्छू के जहर के प्रभाव को कम करता जाता है और व्यक्ति बच जाता है।

बिच्छू के डंक के जहर को खत्म करने का यह कौशल आदिवासी समुदाय की नूरन ने अपनी अम्मा से सीखा है। जिसने उन्हें अपने गांव में सबसे अधिक मांग वाला पेशेवर बना दिया है। बिच्छू काटे की खबर मिलने पर इलाज के लिए जाती हैं।

इस फिल्म में इरफान खान ने एक व्यापारी आदम का किरदार निभाया है। ऊंट व्यापारी आदम, नूरन से निकाह करना चाहता है फिर एक दुर्घटना घटित होती है जिसकी वजह से नूरन अपने गाने से दूर हो जाती है।

गांव के लोगों द्वारा ठुकराए जाने और बुरा व्यवहार करने के बाद वह आदम से शादी करती है। शादी करने के बाद नूरन को अपने साथ हुई घटना का पता चलता है। वह इसका बदला किस प्रकार लेती है यही इस कहानी में दिखाया है।

इरफान खान के अभिनय ने किया इमोशनल

द सॉन्ग ऑफ  स्कॉर्पियन फिल्म के निर्देशक अनूप सिंह हैं। वह इससे पहले फिल्म  ‘किस्‍सा-द टेल ऑफ अ लोनली घोस्ट‘  में इरफान को निर्देशित कर चुके हैं। अनूप ने इस फिल्म में जिस तरीके से नूरन और आदम के किरदारों को लोगों के सामने पेश किया है।

उससे दर्शकों को उनकी एक अलग छवि और उनके उद्देश्यों को समझने मैं बड़ी आसानी मिली है उनके व्यक्तित्व के नीचे छिपी परसों का पता लगाने की गुंजाइश बहुत कम थोड़ी है।

यह फिल्म मेकर के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने किरदारों के बारे में कितनी जानकारी लोगों के सामने रखता है। और कितनी जानकारी उनके अंदर छुपा के रखता है जिससे दर्शकों की दिलचस्पी पूरी फिल्में बनी रहे और किरदारों से जुड़ाव बना रहे।

इस फिल्म में एक तरफा प्यार, बदला, त्याग और अपना सब कुछ समर्पण करने की कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। हालांकि इस फिल्म में आदम का किरदार इरफान खान ने किया है। वह मजे हुए कलाकार हैं आप उनकी एक्टिंग से उनके अंदर के बारे में पता बिल्कुल नहीं लगा सकते हैं कि आगे का इसका किरदार क्या है। आदम के बैकग्राउंड की पूरी जानकारी ना होने से उनके व्यक्तित्व को समझना मुश्किल तो रहा है।

इस फिल्म में उनके किरदार को थोड़ा और निखारने की जरूरत थी। अनूप ने इस फिल्म के क्लाइमेक्स को बड़ी ही खूबसूरती से पेश किया है जहां पर एक तरफ नूरन गाना गाते हुए अपने अंदर के जहर से लड़ रही होती है। दूसरी और उस इंसान से जो उसकी बर्बादी का जिम्मेदार है।

फिल्म के संवादों में राजस्थानी भाषा का भी पुट है ऐसे में सबटाइटल ना होने की वजह से कई बार फिल्म के क्लाइमेक्स को समझने में भी दिक्कत होती है।

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी से दृश्य देखने में बहुत अच्छे लगते हैं। यह राजस्थान के रेगिस्तान की सुंदरता और खतरों दोनों को बड़ी खूबसूरती से पेश करती है कहानी भले ही आधुनिक समय में सेट है लेकिन यह बीते युग की याद जरूर दिलाती है। इरफान ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि अभिनय से पहले किरदार की गूंज सुनता हूं।

उनकी अंतिम फिल्म में भी इरफान खान का किरदार बड़ा ही सुंदर है। उनके अभिनय की गूंज सदियों तक लोगों के कानों पर रहेगी। फिल्म के फर्स्ट हाफ में भी अधिकांश समय कम संवाद के साथ नजर आते हैं लेकिन अपनी उपस्थिति को अपनी बोलती आंखों से दर्ज जरूर कर आते हैं।

नूरन से शादी के बाद आदम की खुशी के साथ उसके भाव  दोनों को उन्होंने अपने एक्सप्रेशन से विश्वसनीयता से समझाया है।

नूरन के किरदार में ईरानी अभिनेत्री गोलशिफतेह फराहनी का अभिनय बहुत ही शानदार है। राजस्थानी परिवेश में वह बेहद सहजता से घुली मिली नजर आती हैं। उन्होंने नूरन के तौर तरीके शारीरिक हाव-भाव और दर्द को बड़ी संजीदगी से पेश किया है। मां के किरदार में वहीदा रहमान बहुत याद रहेंगी आदम के दोस्त की भूमिका में शशांक अरोरा अपना प्रभाव छोड़ते हैं। फिल्म का अहम पहलू इसका संगीत है।

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