[2023] Nipah Virus Kerala | Nipah Virus India

Nipah Virus India: निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। इससे होने वाली बीमारी काफी गंभीर होती है जिसे वर्तमान में कोई इलाज नहीं है।

इससे बचने के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन की खोज नहीं हुई है। हालांकि इलाज के लिए दवा और बचाव के लिए वैक्सीन दोनों पर ही काम जारी है। यह बीमारी चमगादड़ों और सूअर के जरिए इंसानों में फैल सकती है।

भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सामने आया था। इस साल कुल 66 लोगों में यह संक्रमण पाया गया जिनमें से 45 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 2007 में पश्चिम बंगाल में दोबारा यह वाइरस नादिया जिले में मिला। जब पांच लोग संक्रमित हुए थे और सभी की मौत हो गई थी।

तीसरी बार भारत में निपाह वायरस का प्रकोप कोझीकोड और मल्लपुरम में साल 2018 में सामने आया था। यह केरल में नेपाल वायरस का पहला मामला था। जब 18 लोग इससे संक्रमित हुए और इनमें से 17 लोगों ने दम तोड़ दिया।

Nipah Virus India

2018 में ही केरल में मिले निपाह वायरस के पहले मरीज का इलाज कर रही नर्स लिनी पुथुसेरी की मौत हो गई थी। लिनी 28 साल की थी और उनके दो बच्चे थे। मरने से पहले लिनी ने अपने पति को एक पत्र लिखा है जो की काफी चर्चाओं में आया था।

इसके बाद साल 2019 में दूसरी बार यह वाइरस केरल के कोच्चि में सिर्फ एक व्यक्ति में पाया गया था उसे व्यक्ति का समय से इलाज मिल जाने के कारण जान नहीं जा सकी। वह व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।

साल 2021 में जब तीसरी बार केरल के कोझिकोड में नेपाल वायरस सामने आया तो एक ही व्यक्ति से इसका संक्रमण फैला था। उसे बचाया नहीं जा सका। इसके बाद साल 2023 में इस वायरस के चार मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है। यही कारण है कि इस वाइरस को लेकर केरल की सरकार काफी गंभीर है और इसके प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है।

क्या है निपाह वायरस? (Nipah Virus Kya Hai) 

निपाह वायरस या NIV एक ऐसा वायरस है जो जानवरों और इंसानों के बीच फैल सकता है। अक्सर ऐसा देखा गया है। यह चमगादड़ों और सूअरों से फैलता है और इन्हीं के माध्यम से इंसानों में भी आ जाता है। यह वाइरस चमगादड़ से फैलता है जिन्हें फ्लाइंग फॉक्स भी कहा जाता है।

NIV लोगों में भी बीमारी का कारण बनता है। NIV का संक्रमण मस्तिष्क की सूजन से जुड़ा है और इसे हल्के से गंभीर बीमारी और यहां तक की मृत्यु भी हो सकती है। एशिया के कुछ हिस्सों मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में इसका प्रकोप लगभग हर साल होता है। NIV सड़े हुए भोजन के माध्यम से या सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की माने तो नेपाह  वायरस संक्रमण की मृत्यु दर 40 से 75 फ़ीसदी के लगभग होती है।

निपाह वायरस की खोज

निपाह वायरस पहली बार 1999 में मलेशिया में सूअर में खोजा गया था यह वाइरस एक न्यूरोलॉजिकल और रेस्पिरेट्री डिजीज के रूप में सामने आया था जो जीवित संक्रमित सूअरों  के संपर्क में आने वाले मनुष्यों में फैल गया। इस प्रकोप के परिणाम स्वरुप लगभग 300 लोग इससे ग्रसित हुए और 100 से अधिक मौतें हुई। पर्याप्त आर्थिक प्रभाव पड़ा क्योंकि प्रकोप को नियंत्रित करने में मदद के लिए उसे समय 10 लाख से अधिक सूअर मारे गए थे हालांकि 1999 के बाद से मलेशिया और सिंगापुर में NIV का कोई अन्य ज्ञात मामला नहीं सामने आया है। लेकिन तब से एशिया के कुछ हिस्सों में मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में इसका प्रकोप लगभग हर साल सामने आया है। नेपाह वायरस के परिणाम स्वरुप किसानों को महत्वपूर्ण नुकसान तो होता ही है साथ में मानव को भी इससे नुकसान होता है।

नेपाह वायरस कैसे फैलता है?

(How Does Nipah Virus Spread in Humans)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में और इंसानों से बहुत सारे इंसानों में फैल सकता है। अधिकतर यह चमगादड़ से ही फैलने वाला संक्रामक रोग है। यह उनके मल मूत्र खून या लार के जरिए इंसान तक पहुंच कर उन्हें संक्रमित कर सकता है। चमगादड़ की एक खास प्रजाति यह पेड़ों से फलों को खाती है।

Nipah Virus India

यह चमगादड़ जब फल खाते हैं तो इनकी लार के जरिए यह वाइरस उसमें प्रवेश कर जाता है। वायरस से भरे इस फल को जब कोई इंसान खा लेता है तब यह वायरस उसे इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है और एक बार यह वाइरस किसी भी इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाए तो उसे इंसान को छींक, लार और माल के जरिए दूसरे इंसान में भी पहुंच जाता है। इस तरह जानवरों से शुरू हुआ यह वाइरस धीरे-धीरे इंसानों में फैलने लगता है। Nipah Virus India

नेपाह वायरस संक्रमण लक्षण

(Symptoms of Nipah Virus in Hindi)

  • सामान्य लक्षण
  • बुखार
  • सर दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • उल्टी
  • गले में खराश
  • चक्कर आना
  • गंभीर लक्षण
  • सांस लेने में परेशानी
  • मिर्गी
  • इंसेफेलाइटिस
  • सोचने समझने की क्षमता में कमी

नेपाह वायरस की जांच कैसे होती है?

(Diagnosis of Nipah Virus in Hindi)

नेपाह वायरस की जांच संक्रमित मरीज के शरीर से निकले तरल पदार्थ के द्वारा की जाती है। इसके लिए मरीज के लार का सैंपल लेकर आरटी पीसीआर के जरिए इसे चेक किया जा सकता है। इसके साथ-साथ इसका एलिसा टेस्ट के जरिए भी संक्रमण की पुष्टि की जाती है।

इस बीमारी को चेक करने का एक और तरीका है जिसमें संक्रमित व्यक्ति के खून का सैंपल लिया जाता है और इसमें एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि नेपाह वायरस के लक्षण बहुत जल्दी सामने नहीं आते और जो आते हैं वह बहुत सामान्य होते हैं। इसलिए कई मरीजों में संक्रमण की पुष्टि काफी देर में हो पाती है।

इतने समय तक अगर सावधानी न बढ़ती जाए तो यह और भी व्यक्तियों को संक्रमित कर देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सैंपल की क्वालिटी मात्रा सैंपल लेने का समय इस लैब तक ले जाने का समय भी रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है।  इसके मुख्य लक्षणों को छिपा सकता है।

नेपाह वायरस का इलाज

(Treatment of Nipah Virus in Hindi)

नेपाह वायरस के लिए अभी तक सरकार के द्वारा कोई वैक्सीन विकसित नहीं की गई है। लक्षणों के अनुसार ही इसका इलाज किया जाता है जिन मरीजों में सांस की परेशानी या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आने लगती है। उन्हें आईसीयू में रखा जाता है। और जो जो लक्षण सामने आते हैं। उनका ट्रीटमेंट किया जाता है।

नेपाह वायरस से कैसे बच सकते हैं?

(Prevention Tips for Nipah Virus in Hindi)

निपाह वायरस के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकते हैं।

  • इसकी संक्रमित क्षेत्र पर न जाया जाए।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ गए हैं तो खुद को किसी बंद कमरे में क्वॉरेंटाइन करें और निजी अस्पताल से संपर्क करें।
  • अगर नेपाह वायरस के लक्षण नजर नहीं आए तो बिना देरी किए अपने डॉक्टर से सलाह लें और ट्रीटमेंट को फॉलो करें।
  • फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं अगर आप संक्रमण क्षेत्र में रहते हैं तो फलों को गर्म पानी से धोएं।
  • पशु, पक्षी के मल से दूर रहे उनके शरीर के संपर्क में आने पर त्वचा को अच्छी तरह साबुन और पानी से धोएं।
  • अगर आप सार्वजनिक जगहों पर जाएं तो मास्क लगाकर ही जाएं।

 

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